बीटरूट (चुकंदर) एक स्वादिष्ट और पौष्टिक जड़ वाली सब्जी है जिसे सर्दियों में घर पर भी आसानी से उगाया जा सकता है। यह पौधा न केवल आपके किचन गार्डन या बालकनी की सुंदरता बढ़ाता है, बल्कि स्वस्थ आहार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सही तरीके से खेती करने पर इसे कम मेहनत में भी अच्छा फल प्राप्त होता है, जो सलाद और अन्य व्यंजनों में उपयोगी होता है।
बीज तैयारी और मिट्टी की व्यवस्था
सबसे पहले बीटरूट के बीजों को तैयार करना आवश्यक है। इसके लिए बीजों को रात भर पानी में भिगो दें, जिससे वे नरम होकर उगने में आसानी होती है। फिर किसी गमले, बाल्टी या ड्रम में अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी या कोकोपीट भरें। ध्यान रहे कि कंटेनर के ऊपरी 4–6 इंच हिस्से को खाली रखें ताकि अतिरिक्त पानी जमा न हो।
बीटरूट के लिए मिट्टी का चयन करते समय अच्छी जल निकासी वाली, पोषक तत्वों से समृद्ध मिट्टी का उपयोग करें। यदि उपलब्ध हो तो इसमें जैविक खाद या कम्पोस्ट मिलाने से पौधे को अतिरिक्त पोषण मिलता है और मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
रोपण और धूप की आवश्यकता
जब बीज तैयार हो जाएँ, तब मिट्टी में हल्का सा गड्ढा बनाकर बीज दबा दें। इस चरण में बीज के ऊपर की मिट्टी हल्की रखने का ध्यान रखें ताकि नये पौधे आसानी से बाहर आ सकें। रोपण के बाद गमले या ड्रम को ऐसी जगह रखें जहाँ रोजाना कम से कम 6–7 घंटे धूप पहुँच सके। धूप पौधे की ऊर्जा और जड़ विकास के लिए महत्वपूर्ण है, अन्यथा सड़न की समस्या हो सकती है।
बीटरूट एक ठंडे मौसम की फसल है और यह सर्दियों के तापमान में अच्छी तरह पनपती है। हालांकि बहुत ठंडा वातावरण या पाला इसके विकास को प्रभावित कर सकता है, इसलिए अगर तापमान बहुत कम हो तो हल्का कवर या शेड कपड़ा डालना लाभदायक होता है।
सिंचाई और पोषण देखभाल
बीटरूट को नियमित रूप से पानी देना आवश्यक है, लेकिन ज्यादा पानी देने से बचें। मिट्टी के उपरी हिस्से के सूखने पर ही पानी देना चाहिए ताकि जड़ें सड़ने से बचें। पानी केवल सुबह के समय देना अच्छा रहता है, क्योंकि रात में नमी अधिक रहने से पौधों को नुकसान हो सकता है।
हर 15 दिन में ऑर्गेनिक खाद, जैसे गोबर या कम्पोस्ट, के प्रयोग से पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। साथ ही, नीम और हल्दी के पानी का छिड़काव कीटों से रक्षा करता है। इससे पौधे को रोग‑प्रतिरोधक क्षमता भी मिलती है।
घास, खरपतवार और निराई
समय‑समय पर मिट्टी से घास, पत्ते और खरपतवार हटाना चाहिए। घास मिट्टी के पोषण तत्वों को खींच लेती है और मुख्य पौधे की वृद्धि कम कर सकती है। सर्दियों में पत्तों पर मिट्टी जमी होने पर उन्हें साफ करना भी आवश्यक है क्योंकि यह सूर्य की किरणों को पत्तियों तक पहुँचने से रोकता है, जिससे पौधे की फोटोसिंथेसिस प्रभावित होती है।
कटाई और उपयोग
सही देखभाल के साथ, लगभग दो महीनों में लाल‑लाल, सेहत से भरपूर बीटरूट तैयार हो जाती है। इसे सलाद में कच्चा या हलवा तथा अन्य व्यंजनों में पकाकर उपयोग किया जा सकता है। इसके पोषक गुण त्वचा और किडनी स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद माने जाते हैं।
