होली मनाने की पूजा विधि
साल की शुरूआत होते ही त्योहारों के आने का इंतेजार सभी बेसबरी से करते है। बात करें आने वाले त्योहारों की तो होली सबसे नज़दीक है। देशभर में इस रंगोभरे त्योहार को बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अलग-अलग राज्यों में लोग इसे अलग-अलग नामों से जानते है। जिसे आप सभी डोल पूर्णिमा, रंगो वाली होली, धुलंडी, धुलेटी, मंजल कुली, याओसंग, उकुली, जजिरी, शिगमो, फगवा के नाम से जानते है। इन नामो को पढ़कर आपको बीती होली में बिताए पलों का ख्याल अब तक आ चुका होगा आपका मन होली खेलने को कर रहा होगा अगर ऐसा है और अगर आप जान ना चाहते है, कि इस बार की होली कब है। और किस शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाएगा तो हम आपके इन्ही सवालो के जवाब देने जा रहे है।
कब है होली
हिंदू पांचांग के हिसाब से फाल्गुन महीने की शुरूआत शाम को होती है। हिंदूओ द्वारा होली त्योहार को देश में बेहद धूम धाम से मनाया जाता है। साथ ही हिंदू त्योहारों के सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है। होली जिसका इंतेजार सभी हिंदू बेसबरी से कर रहे है। बता दें कि 2023 में इस बार की होली 8 मार्च बुधवार को मनाए जाने वाली है। वहीं बात करें होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की तो इसका शुभ मुहूर्त 7 मार्च 2023 को बताया जा रहा है। वहीं फालगुन पूर्णिमा तिथी के अनुसार इसका शुभ मुहूर्त 6 मार्च 2023 को दिन के तीसरे पहर यानी 4 बजकर 17 मिनट पर मनाया जाएगा वहीं फालगुन तिथी स्माप्त का समय 7 मार्च 6 बजकर 9 मिनट पर किया जाएगा
होलिका दहन की विधि
होलिका दहन के इस अवसर पर होलिका जलाने के लिए जहां लकड़ी इकट्ठी की जाती है वहां जा कर के पूजा करें इक्ट्ठी की गई लकड़ियों को सफेद धागे से या मौली से तीन या सात बार लपेंटे फिर पवित्र जल, कुमकुम, और फूल छिड़क कर उसकी पूजा करें पूजा खत्म होने के बाद ही शाम को होलिका जलाया जाता है। इस पूजा को लेकर के कहा जाता है कि ये पूजा अपने सभी डर पर विजय दिलवाने में मदद करता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस पूजा से घर में धन समिद्धी लाती है।
होली का इतिहास और महत्तव
होली त्योहार का नाम आते ही सभी को बचपन में सुनी हुई प्रह्लाद की कहानी के बारे में तो सुना ही होगा नहीं सुना तो कोई बात नहीं बता दें कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णू के भक्त प्रह्लाद को भगवान विष्णू ने अपने पिता हिरणयाकशयप के बुरे इरादों से बचाया था वहीं हिरणयाकशयप की बहन होलिका को ये वरदान प्राप्त था कि आग से किसी भी तरह की हानी उन्हें नहीं हो सकती है। इसी वरदान का लाभ उठाने के लिए प्रह्लाद के पिता ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह भगवान विष्णू के भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में बिठा कर के अग्नी के बीच में बैठ जाए अब वरदान के कारण होलिका को ऐसा लगा कि अग्नी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती लेकन भगवान विष्णू ने अपनी लीला दिखाई जिसमें होलिका उस अग्नी में जल गई और भक्त प्रह्लाद को किसी भी तरीके का नुक्सान नहीं पहुंचा तब से लेकर के अब तक होली से पहले दिन को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। बुराई पर अच्छाई की जीत होलिका दहन को मनाया जाता है।