Parenting tips : हर बच्चे के सपनों को दिशा देना आपकी ज़िम्मेदारी जानिए उनसे करियर की बात कब और कैसे करें

बच्चों से करियर की बातचीत तभी करें जब वो मानसिक रूप से तैयार हों। रुचि को समझें, दबाव न डालें और सही समय व तरीका अपनाकर उन्हें सही दिशा में आगे बढ़ाएं।

career guidance for children to choose right path with parents support
career guidance for children-अक्सर मां-बाप अपने बच्चों से पूछते हैं कि “बड़े होकर क्या बनना है?” बच्चे भी बड़े उत्साह से जवाब देते हैं कोई डॉक्टर, कोई इंजीनियर, तो कोई पायलट बनना चाहता है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, उनके सपने और बातें बदलने लगती हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि बच्चों से उनके करियर को लेकर बात करने का सही वक्त क्या है और किस तरीके से करें, ताकि वो सही दिशा में आगे बढ़ सकें।

कब करें करियर पर बात?

जब बच्चा कक्षा आठवीं में पहुंच जाए यानी उसकी उम्र करीब 12 से 14 साल हो, तब से उसके इंटरेस्ट को समझा जा सकता है। इस उम्र में बच्चा सोचने-समझने लगता है और धीरे-धीरे उसे अपनी पसंद और नापसंद का अंदाजा भी होने लगता है। इस समय मां-बाप को चाहिए कि वो अपने बच्चे से उसकी रुचि को लेकर आराम से और प्यार से बात करें। ध्यान रखें कि आपका मकसद सलाह देना हो, दबाव बनाना नहीं।

बात करने का सही मौका चुनें

करियर को लेकर बात करने के लिए वही समय चुनें जब आप और बच्चा दोनों शांत और तनावमुक्त हों। अगर बच्चा उस समय बात करने के मूड में नहीं है या किसी और बात से परेशान है, तो चर्चा को थोड़ी देर के लिए टाल दें। शुरुआत सीधे करियर जैसे टॉपिक से ना करें। आप हल्के-फुल्के सवालों से बात शुरू कर सकते हैं, जैसे:

“अगर तुम्हें कोई भी काम करने की आज़ादी मिले तो तुम क्या करना चाहोगे?”

“पढ़ाई खत्म होने के बाद तुम्हारे दिमाग में क्या प्लान है?”

ऐसे सवालों से बच्चा खुलकर बात करेगा और उसे नहीं लगेगा कि आप उस पर कोई फैसला थोप रहे हैं।

अगर बच्चे को कला या खेल में रुचि हो

अगर आपका बच्चा डांस, म्यूजिक, पेंटिंग या किसी खेल में रुचि रखता है, तो उसे उस दिशा में आगे बढ़ने के मौके जरूर दें। ऐसे क्षेत्रों में सफलता के लिए जल्दी शुरुआत जरूरी होती है। कई बार माता-पिता को इस बात की चिंता होती है कि ये क्षेत्र करियर के लिए सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में, आप अपने बच्चे को उसका मनपसंद क्षेत्र चुनने के साथ-साथ कोई वैकल्पिक करियर विकल्प भी समझा सकते हैं, ताकि अगर किसी कारणवश मनचाही दिशा में सफलता न मिले तो भी बच्चा असमंजस में न पड़े।

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