Rumali Roti : रुमाली रोटी का नाम आपने जरूर सुना होगा, खासकर नॉन वेज प्रेमियों के बीच यह काफी लोकप्रिय है। अक्सर इसे नॉन वेज रेस्टोरेंट्स में खाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह रोटी खाने के लिए नहीं बनाई गई थी? असल में, रुमाली रोटी का इस्तेमाल शुरुआत में एक अलग ही उद्देश्य के लिए किया जाता था, जिसे जानकर आप शायद इसे खाना छोड़ दें।
Rumali Roti आती थी इस काम
रुमाली रोटी की उत्पत्ति मुगलों के समय में हुई थी। उस दौर में शाही भोजनों के साथ रुमाली रोटी परोसी जाती थी, लेकिन लोग इसे खाने के लिए नहीं, बल्कि शाही खाने से अतिरिक्त तेल को पोंछने के लिए इस्तेमाल करते थे। “रुमाली” शब्द हिंदी के “रुमाल” से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है पोंछने का कपड़ा, जिसे हाथ, नाक या मुंह पोंछने के लिए प्रयोग किया जाता है।
पंजाब प्रांत से आई Rumali Roti
मुगल काल में रुमाली रोटी को शाही भोजनों के दौरान रुमाल की तरह मोड़कर मेज पर रखा जाता था, ताकि वह अतिरिक्त तेल को पोंछ सके। यह रोटी नरम और बेहद पतली होती है। रुमाली रोटी की उत्पत्ति पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुई थी, जहां इसे “मांडा” या “लंबू रोटी” के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान में इसे अक्सर गाढ़ी और मलाईदार करी के साथ खाया जाता है, और भारतीय नॉन वेज व्यंजनों के साथ भी यह परोसी जाती है।