Women’s Day: महिला दिवस आने वाला है, और इस खास मौके पर अगर थिएटर में कुछ बेहतरीन महिला केंद्रित फिल्में रिलीज हो जाएं, तो मजा ही आ जाएगा। जैसे वैलेंटाइन वीक में ‘सनम तेरी कसम’ ने धूम मचाई थी, वैसे ही महिला दिवस पर भी कुछ खास फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा सकती हैं। हाल ही में आई ‘Mrs.’ जैसी फिल्मों को दर्शकों का जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला, तो सोचिए अगर कुछ पुरानी दमदार फिल्में फिर से थिएटर में लग जाएं, तो दर्शकों को कितना मजा आएगा। आइए, जानते हैं वो कौन-सी फिल्में हैं, जो इस खास दिन पर री-रिलीज हो सकती हैं और लोगों को प्रेरित कर सकती हैं।
दंगल – हौसले की मिसाल
‘दंगल’ फिल्म भारत की मशहूर महिला पहलवान गीता और बबीता फोगाट की जिंदगी पर आधारित है। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे एक पिता अपने सपने को पूरा करने के लिए अपनी बेटियों को कड़ी मेहनत कराता है और वे समाज की बंदिशों को तोड़ते हुए देश का नाम रोशन करती हैं। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई की थी और आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई है।
मर्दानी – बहादुर पुलिसवाली की कहानी
रानी मुखर्जी की फिल्म ‘मर्दानी’ एक निडर पुलिस अधिकारी की कहानी है, जो अपराधियों से लड़ती है और उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाती है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि अगर एक महिला ठान ले, तो वह किसी भी मुश्किल का सामना कर सकती है। महिला दिवस के मौके पर इस फिल्म की री-रिलीज इसे और खास बना सकती है।
मॉम – एक मां की ममता की ताकत
श्रीदेवी की फिल्म ‘मॉम’ एक ऐसी मां की कहानी है, जो अपनी बेटी के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। यह फिल्म हर उस मां की भावना को दर्शाती है, जो अपने बच्चों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती है। इसे देखकर दर्शक भावुक हुए बिना नहीं रह सकते।
इंग्लिश विंग्लिश – आत्मसम्मान की लड़ाई
श्रीदेवी की यह फिल्म एक साधारण महिला की कहानी है, जो अपने आत्मसम्मान को वापस पाने के लिए अंग्रेजी सीखती है। फिल्म दिखाती है कि अगर कोई महिला खुद को साबित करने की ठान ले, तो कोई उसे रोक नहीं सकता। यह फिल्म महिला दिवस के मौके पर लोगों को फिर से प्रेरित कर सकती है।
थप्पड़ – सहन करने की जरूरत नहीं
तापसी पन्नू की फिल्म ‘थप्पड़’ घरेलू हिंसा के खिलाफ एक कड़ा संदेश देती है। फिल्म का डायलॉग “बस एक थप्पड़, पर नहीं मार सकता” हर उस महिला की आवाज बन गया, जो चुप रहकर सब सहन करती है। इस फिल्म को महिला दिवस पर दोबारा रिलीज किया जाए, तो यह फिर से लोगों की सोच बदल सकती है।