Lok Sabha Election 2024: जानिए आंवला सीट का इतिहास, क्या इस बार खिलेगा कमल या फिर पकड़ेगी साइकिल रफ्तार?

Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Election 2024: सियासी माहौल हमेशा से ही उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) के समय बना रहता है। यूपी के रुहेलखंड क्षेत्र में बरेली जिले के तहत आने वाली 2 लोकसभा सीटों में से एक आंवला लोकसभा सीट भी शामिल है। इस क्षेत्र में भारी मात्रा में आंवले की खेती होती है, इसलिए यहां को आंवले के नाम से भी पहचाना जाता है। 2019 के चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी को आंवला संसदीय सीट पर विजय प्राप्त हुई थी।

आंवला क्षेत्र का इतिहास 

यूपी में 24वें नंबर के आंवला संसदीय क्षेत्र का एक प्राचीन इतिहास है। उत्तरी पंचाल की पूर्वी राजधानी अहिछत्र के अवशेष बरेली आंवला तहसील के रामनगर गांव में पाए जाते हैं, जहां गुप्तकालीन दौर के सिक्के भी मिले हैं। माना जाता है कि महात्मा बुद्ध भी अहिछत्र क्षेत्र का दौरा किया था। आंवला संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत पाँच विधानसभा सीटें आती हैं – शेखुपुर, दातागंज, फरीदपुर (एससी के लिए आरक्षित), बिथारी चैनपुर और आंवला।

इनमें, फरीदपुर, बिथारी चैनपुर और आंवला सीट बरेली जिले में स्थित हैं, जबकि शेष दोनों सीटें बदायूं में हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में, समाजवादी पार्टी ने शेखुपुर सीट पर विजय प्राप्त की जबकि चारों अन्य सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गईं।

आंवला का राजनीतिक इतिहास

आंवला लोकसभा सीट (Lok Sabha Election 2024) का राजनीतिक इतिहास विस्तारपूर्वक है। यहाँ से इंदिरा गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी भी चुनाव जीत चुकी हैं। पहले, 1962 में हिंदू महासभा को इस सीट पर विजय प्राप्त हुई थी। फिर, 1967 में कांग्रेस ने यहाँ से जीत हासिल की और सावित्री श्याम को सांसद बनाया। वे 1971 में भी पुनः चुनी गईं, लेकिन 1977 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। 1980 में जनता पार्टी और 1984 में कांग्रेस ने यहाँ से विजय प्राप्त की।

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1989 से भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर अपनी पहली जीत हासिल की और इसके बाद से 6 बार यहाँ से जीत हासिल की है। 1989 में, बीजेपी के राजवीर सिंह को यहाँ से चुना गया, 1991 में वे अपनी सीट बचाने में सफल रहे। हालांकि, 1996 में समाजवादी पार्टी के सर्वराज सिंह को यहाँ से जीत मिली। 1998 में, राजवीर ने फिर से बीजेपी के लिए विजय हासिल की। फिर, 1999 में सर्वराज सिंह ने सपा के टिकट पर चुनाव जीता। लेकिन 2004 में भी उन्हें विजय प्राप्त हुई। साल 2009 के चुनाव में, मेनका गांधी ने इस सीट से भारी बीजेपी उम्मीदवार को हराया।

आंवला सीट का जातीय समीकरण

2014 के चुनाव में, मोदी लहर के साथ बीजेपी ने मेनका गांधी की जगह धर्मेंद्र कुमार कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने पूर्व सांसद और सपा के कुंवर सर्वराज सिंह को 1.38 लाख से अधिक मतों के अंतर से पराजित किया। इसी तरह, 2019 के चुनाव में भी बीजेपी ने धर्मेंद्र कश्यप को उतारा और 1.13 लाख से अधिक मतों के साथ चुनाव जीत लिया।

आंवला संसदीय सीट पर मुस्लिम और दलित वोटर्स का महत्वपूर्ण योगदान है। ठाकुर वोटर्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस सीट के इतिहास में कहा जाता है कि रुहेलों ने 17वीं सदी की शुरुआत में यहां राज किया और अगले कुछ वर्षों में शहर के विकास में बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया। बाद में, लखनऊ के नवाबों और अंग्रेजों ने इस शहर को लूटा और इसकी धरोहर को नुकसान पहुंचाया।

2024 में कौन-कौन प्रत्याशी

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस सीट पर तीन बार विजय हासिल की है, जबकि कांग्रेस, जनता पार्टी, और समाजवादी पार्टी ने दो-दो बार यहां से जीत दर्ज की है। जदयू को भी एक बार विजय मिली है। मेनका गांधी ने भी इस सीट पर प्रयास किया है। वर्तमान में, यह सीट (Lok Sabha Election 2024) भाजपा के पास है। धर्मेंद्र कश्यप को एक बार फिर भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया है। समाजवादी पार्टी ने नीरज मौर्य को प्रत्याशी घोषित किया है, जबकि बसपा ने आबिद अली को उम्मीदवार बनाया है।

2019 में किसे मिली थी सत्ता

पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 1,785,605 मतदाता पंजीकृत थे। उस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार धर्मेंद्र कश्यप 537,675 वोट हासिल कर विजयी रहे थे। इस चुनाव के दौरान धर्मेंद्र कश्यप को कुल मतदाताओं में से 30.11% का समर्थन मिला, जबकि उन्हें 51.07% वोट मिले।

2019 के लोकसभा चुनाव में, बसपा उम्मीदवार रुचि वीरा इस सीट पर 423,932 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहीं, जो कुल मतदाताओं के बीच 23.74% समर्थन और डाले गए वोटों का 40.26% था। 2019 के आम चुनाव में इस सीट पर जीत का अंतर 113743 था।

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2014 में बीजेपी को ही मिली थी जीत

इससे पहले साल 2014 में हुए आम चुनाव के दौरान आंवला लोकसभा सीट पर कुल 1,653,577 मतदाता दर्ज किए गए थे। उस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार धर्मेंद्र कुमार कुल 409907 वोटों के साथ विजयी हुए थे। उन्हें संसदीय क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 24.79% का समर्थन प्राप्त हुआ, जबकि उस चुनाव में उन्हें 41.16% वोट मिले।

दूसरी ओर, सपा उम्मीदवार कुंवर सर्वराज सिंह 271,478 मतदाताओं का समर्थन हासिल करके दूसरे स्थान पर रहे, जो कुल संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का 16.42% और कुल वोटों का 27.26% था। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 138429 था।

2009 में भाजपा को मिली थी जीत

इसके अलावा साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश की आंवला संसदीय सीट पर कुल 1,310,878 मतदाता मौजूद थे। इनमें बीजेपी उम्मीदवार मीनाक्षी गांधी 216503 वोटों से जीती। मीनाक्षी गांधी को संसदीय क्षेत्र के कुल मतदाताओं में से 16.52% का समर्थन मिला, जबकि चुनाव में उन्हें 30.73% वोट मिले।

वहीं, दूसरे स्थान पर सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार रहे, जिन्हें 208822 मतदाताओं का समर्थन मिला। यह कुल संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं का 15.93% और कुल डाले गए वोटों का 29.64% था। 2009 के लोकसभा चुनाव में इस संसदीय सीट पर जीत का अंतर 7,681 था।

 

 

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