उत्तर प्रदेश में राजस्व विवादों के मामलों के तेजी से निस्तारण में राजधानी लखनऊ ने प्रदेश के सभी जिलों को पीछे छोड़ दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मॉनीटरिंग और निर्देशों के चलते राजस्व मामलों के निपटारे की प्रक्रिया में सुधार हुआ है। प्रदेशभर के जिलाधिकारी और संबंधित अधिकारी इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं ताकि जनता को त्वरित न्याय मिल सके।
राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली (आरसीसीएमएस) की अक्टूबर माह की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे प्रदेश में कुल 3,24,897 राजस्व मामलों का निस्तारण किया गया। इनमें से सबसे ज्यादा 15,260 मामले लखनऊ में निपटाए गए, जो अकेले पूरे प्रदेश के लिए एक रिकॉर्ड है। प्रयागराज ने 10,501, गोरखपुर ने 8,165, कानपुर नगर ने 7,866 और शाहजहांपुर ने 7,707 मामले निस्तारित कर लखनऊ के बाद आगे के स्थान लिए हैं।
वहीं, जनपद स्तरीय न्यायालयों में जौनपुर ने अपनी शानदार प्रदर्शन से सबकी नजरें अपनी ओर खींची हैं। वहां की पांच राजस्व न्यायालयों ने प्रति माह 480 मामले निस्तारित करके बोर्ड के मानक का 192 प्रतिशत प्रदर्शन किया है। जौनपुर के जिलाधिकारी न्यायालय ने भी 236.67 प्रतिशत की उपलब्धि के साथ 71 मामले निपटाए, जो प्रदेश में सबसे अधिक है। इसी तरह भदोही और मऊ जिलाधिकारी न्यायालय भी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
भूमि राजस्व मामलों में जौनपुर नंबर वन
भूमि राजस्व मामलों की बात करें तो जौनपुर के अपर जिलाधिकारी ने निर्धारित मानक 50 के मुकाबले 184 वादों का निपटारा किया है, जो प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त कर रहा है। वहीं गाजीपुर और मीरजापुर के अपर जिलाधिकारी भी क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व मामलों के निपटारे की स्वतंत्र समीक्षा की और अधिकारियों को मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित करने के लिए निर्देशित किया। उनकी इस पहल का मुख्य उद्देश्य जनता को समय पर न्याय दिलाना और सरकारी प्रशासन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाना है।
राजस्व मामलों के इस तेजी से निपटारे से प्रदेश में न्यायपालिका की कार्यकुशलता में सुधार हुआ है और आम जनता का प्रशासन पर विश्वास बढ़ा है।
