Ansal Group Scam: लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) की 411 एकड़ बंधक जमीन को फर्जीवाड़े से बेचने के मामले में रियल एस्टेट कंपनी अंसल और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया गया है। इस मामले में अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के मालिक प्रणव अंसल, सुनील अंसल, फ्रेन्सेटी पैट्रिका अटकिंशन और डायरेक्टर विनय कुमार सिंह के खिलाफ गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।
एलडीए के अमीन अर्पित शर्मा द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर यह मामला दर्ज किया गया। इस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के 24 घंटे के भीतर कार्रवाई की गई। आरोप है कि अंसल ग्रुप ने दो बार टाउनशिप की योजना स्वीकृत कराई लेकिन निर्धारित भूमि से कई गुना अधिक क्षेत्र में टाउनशिप का निर्माण कर लिया।
अंसल ग्रुप ने किया अरबों रुपये का घोटाला
गोमतीनगर थाने में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 2005 में 1,765 एकड़ की हाईटेक टाउनशिप विकसित करने के लिए भूमि चिह्नित की गई थी जिसकी डीपीआर 2006 में स्वीकृत हुई थी। अंसल ग्रुप ने इसमें घोटाला करते हुए ग्राम समाज, सीलिंग, तालाब, राज्य सरकार के नाम दर्ज भूमि, चक मार्ग, नवीन परती, बंजर, नहर और नाली की जमीन को अपने प्रोजेक्ट में शामिल कर लिया और इसकी कोई जानकारी प्राधिकरण को नहीं दी।
इस घोटाले का खुलासा (Ansal Group Scam) जांच के दौरान हुआ। आरोप है कि अंसल ग्रुप ने इन अवैध रूप से कब्जाई गई जमीनों पर प्लॉटिंग कर जनता को बेचा और अरबों रुपये की धोखाधड़ी की। इस कारण न केवल आम लोगों को आर्थिक नुकसान हुआ बल्कि सरकारी विभागों को भी भारी क्षति पहुंची।
रेरा में 2268 निवेशकों ने की थी शिकायत
इस मामले में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) में अंसल ग्रुप के खिलाफ 2268 शिकायतें दर्ज की गई थीं। रेरा ने कंपनी के खिलाफ 235 करोड़ रुपये की रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) जारी की थी लेकिन कंपनी ने केवल 118 करोड़ रुपये ही जमा किए। इसके अलावा अंसल ग्रुप के कर्मचारियों द्वारा एलडीए कार्यालय में कर्मचारियों से अभद्रता और धमकी देने के भी आरोप लगे हैं।
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किन धाराओं में हुआ मुकदमा?
अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रमोटर्स (Ansal Group Scam) सुनील अंसल, प्रणव अंसल, सुनील कुमार गुप्ता, फ्रेन्सेटी पैट्रिका अटकिंशन और निदेशक विनय कुमार सिंह के खिलाफ बीएनएस 316(5), 318(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2), 352, 351(2) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं में दोषी पाए जाने पर दो साल से दस साल तक की सजा हो सकती है।
सीएम योगी ने सपा पर साधा निशाना
इस मामले पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में विपक्ष को घेरते हुए समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर किसी को यह गलतफहमी है कि गरीबों का पैसा लेकर वह भाग जाएगा तो हम उसे पाताल से भी निकालकर लाएंगे और सजा दिलाएंगे। हम यह गारंटी देते हैं कि हर निवेशक को उसका पैसा वापस मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अंसल ग्रुप को समाजवादी पार्टी के शासनकाल में खुली छूट दी गई थी जिसके कारण यह घोटाला इतने बड़े स्तर पर हुआ।
अंसल ग्रुप पर पहले से चल रही जांच
अंसल ग्रुप 1967 में रजिस्टर्ड हुआ था और 2025 तक 7,000 से ज्यादा निवेशकों ने इसमें पैसा लगाया था। लखनऊ, दिल्ली-एनसीआर सहित पांच राज्यों में अंसल एपीआई ने 21 से अधिक टाउनशिप प्रोजेक्ट विकसित किए। इससे पहले भी अंसल ग्रुप के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच जारी है। अलग-अलग जिलों में कंपनी के खिलाफ सैकड़ों मुकदमे दर्ज हैं।
रेरा में 400 से ज्यादा शिकायतें
2019 में रेरा ने प्रदेशभर में अंसल एपीआई के 91 प्रोजेक्टों का फॉरेंसिक ऑडिट कराया था। इसमें पाया गया कि कंपनी ने सैकड़ों निवेशकों का पैसा जमा करने के बावजूद उन्हें कब्जा नहीं दिया और न ही पैसे वापस किए। अंसल ग्रुप के खिलाफ सख्त कार्रवाई के बाद यह साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों में कोई रियायत नहीं देने वाली। निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए प्रशासन लगातार सख्त कदम उठा रहा है। अब देखना यह होगा कि आगे इस मामले में और कौन-कौन से बड़े खुलासे होते हैं और निवेशकों को उनका पैसा वापस कब तक मिलता है।