Friday, November 21, 2025
  • Login
News1India
  • राष्ट्रीय
  • देश
  • बिहार चुनाव 2025
  • विदेश
  • राज्य ▼
    • दिल्ली
    • हरियाणा
    • राजस्थान
    • छत्तीसगढ़
    • गुजरात
    • पंजाब
  • क्राइम
  • टेक्नोलॉजी
  • धर्म
  • मौसम
  • ऑटो
  • खेल
🔍
Home Latest News

कुछ ऐसी है महाकुंभ की ‘गाथा’, यहां लगा था आजाद भारत का पहला कुंभ मेला, क्यों लगी है वीआईपीज की एंट्री पर रोक

Mahakumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है, 45 दिन तक चलने वाले पर्व में करीब 45 करोड़ से अधिक भक्तों की आने की संभावना है।

Vinod by Vinod
January 5, 2025
in Latest News, TOP NEWS, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज, महाकुंभ 2025
491
SHARES
1.4k
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। संगम नगरी प्रयागराज को दुल्हन की तरह सजाया गया है। त्रिवेणी की रेती पर टैंट सिटी बनकर तैयार है। साधू-संतों के अलावा भक्तों का आना शुरू हो गया है। भक्तों को परेशानी न हो इसके लिए आधुनिक व्यवस्थाएं की गई हैं। सुरक्षा ऐसी की परिंदा भी पर नहीं मार सकता। संत-भक्तों के रहने, खाने और इलाज के लिए अस्पतालों का निर्माण करवाया गया है। बता दें, 13 जनवरी से महाकुंभ का आगाज होगा, जो 45 दिनों तक चलेगा। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के शाही स्नान के साथ इस महाकुंभ की समाप्ती हो जाएगी। ऐसे में हम अपने इस खास अंक में महाकुंभ की हर उस कहानी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसके बारे में आपने अभी तक पढ़ा नहीं होगा।

कुंभ को लेकर अहम साक्ष्य

कुंभ मेले के आयोजन का प्रावधान कब से है इस बारे में विद्वानों में अनेक भ्रांतियाँ हैं। कुछ विद्वान गुप्त काल में कुंभ के सुव्यवस्थित होने की बात करते हैं। परन्तु प्रमाणित तथ्य सम्राट शिलादित्य हर्षवर्धन 617-647 ई. के समय से प्राप्त होते हैं। बाद में श्रीमद आघ जगतगुरु शंकराचार्य तथा उनके शिष्य सुरेश्वराचार्य ने दसनामी संन्यासी अखाड़ों के लिए संगम तट पर स्नान की व्यवस्था की। बताया जा रहा है कि 850 साल पहले आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी। वही कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गई थी। मंथन में निकले अमृत का कलश हरिद्वार, इलाहबाद, उज्जैन और नासिक के स्थानों पर ही गिरा था, इसीलिए इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेला हर तीन बरस बाद लगता आया है। कुछ दस्तावेज बताते हैं कि कुंभ मेला 525 बीसी में शुरू हुआ था।

RELATED POSTS

Mahakumbh 2025

प्रयागराज महाकुंभ का समापन.. 45 दिन में 450 से ज्यादा FIR दर्ज, कैसे होगा निपटारा

March 10, 2025
Vice President Jagdeep Dhankhar Health

MahaKumbh 66 करोड़ श्रद्धालूओं ने स्नान कर विश्व को भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की महानता से परिचित कराया, YOGI

March 9, 2025

आजाद भारत का पहला कुंभ

जब भारत गुलाम था तब भी कुंभ का आयोजन होता था। अंग्रेजों की सरकार के समय कुंभ, अर्धकुम्भ और माघ मेला आयोजित किए जाते थे। इस दौरान इंग्लैंड से ऑफिसर आते थे, जो मेले का प्रबंधन देखते थे। वहीं आजाद भारत में पहले कुंभ के आयोजन की बात करें तो ये मेला प्रयागराज में साल 1954 में लगा था। इस कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी शामिल हुए थे। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मौनी अमावस्या के दिन संगम के तट पर स्नान किया था.। इसी दौरान एक हाथी के कंट्रोल से बाहर होने के बाद हादसा हुआ था। बताया जाता है कि इसमें 500 लोगों की जान गई थी। तभी से कुंभ में हाथी के आने पर रोक लगा दी गई थी।

इस कुंभ में 12 करोड़ लोग शामिल हुए थे

आजादी के बाद प्रयागराज में लगे इस कुंभ में 12 करोड़ लोग शामिल हुए थे। इतना ही नहीं इसी हादसे के बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने मुख्य स्नान पर्वों पर वीआईपीज के संगम में जाने पर रोक का आदेश दे दिया था। आज भी अर्द्धकुम्भ, कुंभ और महाकुंभ के मुख्य स्नान पर्वों पर वीआईपीज की एंट्री पर रोक बरकरार है। इस कुंभ की तैयारियों का जायजा उस समय के यूपी के सीएम गोविंद बल्लभ पंत ने नाव पर और पैदल चलकर लिया था। बताया जाता है कि इस कुंभ में श्रद्धालुओं के इलाज के लिए संगम किनारे सात अस्थाई अस्पताल बनवाए गए थे। भूले भटकों को मिलाने और भीड़ को सूचना देने के लिए लाउडस्पीकर्स भी थे। साथ ही रौशनी की खातीर कुंभ में 1000 स्ट्रीट लाइटें भी लगवाई गई थीं।

कुंभ की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार कुंभ की कहानी सागर मंथन में निकले अमृत को पाने के लिए हुए युद्ध से शुरू होती है। कथा के अनुसार सागर मंथन में अभी अमृत कलश बाहर आया ही था कि इसे लेकर असुरों में होड़ मच गई कि वह इसे देवताओं से पहले अपने अधिकार में ले लेंगे और पी डालेंगे। राजा बलि की सेना में उनका एक सेनापति था स्वरभानु। वह जल, स्थल और आकाश तीनों ही जगहों पर तेज गति से दौड़ सकता था। उसने अमृत कलश को एक पल में ही धन्वंतरि देव के हाथ से झटक लिया और आकाश की ओर लेकर चला गया। देवताओं के दल में भी इंद्र के पुत्र जयंत ने जैसे ही स्वरभानु को अमृत की ओर लपकते देखा तो वह तुरंत ही कौवे का रूप धरकर उसके पीछे उड़ा और आकाश में उसके हाथ से अमृत कुंभ छीनने लगा।

यहां पर गिरी अमृत की बूंदें

कथा के अनुसार, जयंत को अकेला पड़ता देख सूर्य, चंद्रमा और देवताओं के गुरु बृहस्पति भी उनके साथ आ गए। इस बीच स्वरभानु का साथ देने कुछ अन्य असुर भी आकाश में उड़े और इन सबके बीच अमृत कलश को लेकर छीना झपटी होने लगी। इसी छीना झपटी में कलश से अमृत छलका और पहली बार हरिद्वार में इसकी बूंदें गिरीं और हरिद्वार तीर्थ बन गया। दूसरी बार अमृत छलका तो वह गंगा-यमुना और सरस्वती के संगम स्थल प्रयाग में गिरा। इस तरह यह स्थान तीर्थराज बन गया। तीसरे प्रयास में अमृत छलका तो वह उज्जैन में क्षिप्रा नदी में जा गिरा और चौथी बार नासिक की गोदावरी नदी में अमृत की बूंदें गिरीं। जिसके बाद इनके किनारे बसे हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में कुंभ का आयोजन होने लगा।

ऐसे चार बार होता है कुंभ का आयोजन

जानकार बताते हैं, कुंभ मेले का स्थान तय करने में ग्रहों की दशा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसमें सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं और बृहस्पति वृषभ राशि में, तब कुंभ मेला प्रयागराज में होता है। वहीं, जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में होता है, तो कुंभ मेला हरिद्वार में होता है। इसके साथ ही जब सूर्य सिंह राशि और बृहस्पति ग्रह भी सिंह राशि में होते हैं, तो कुंभ मेला उज्जैन में होता है। इसके अलावा जब, सूर्य सिंह राशि और बृहस्पति सिंह या कर्क राशि में होता है, तब कुंभ मेला नासिक में होता है। इन्हीं चार शहरों में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है और करोड़ों भक्त डुबकी लगाकर पुण्ण कमाते हैं।

कुंभ मेले का आयोजन 12 साल पर होता है

कुंभ मेले का आयोजन 12 साल पर होता है। कुंभ के 12 साल में ही होने का आधार ज्योतिषी गणना के साथ-साथ पौराणिक कथा भी है। ज्योतिषी गणना के अनुसार जब बृहस्पति ग्रह मेष राशि या सिंह राशि में प्रवेश करता है और सूर्य-चंद्रमा की स्थिति विशेष योग बनाती है, तब कुंभ मेले का आयोजन होता है। माना जाता है कि ग्रहों की यह स्थिति 12 पर आती है। इसलिए 12 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है। कुंभ चार प्रकार के होते हैं। कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्णकुंभ और महाकुंभ। वहीं, अर्धकुंभ 6-6 साल में होता है। ये सिर्फ हरिद्वार और प्रयागराज में लगता है।. बात करें पूर्णकुंभ की तो यह 12 साल में एक बार होता है। 12 पूर्णकुंभ होने पर यह महाकुंभ कहलाता है। इसीलिए प्रयागराज में इस बार लग रहे कुंभ मेले को महाकुंभ का नाम दिया गया है।

 

Tags: Kumbh Melamahakumbh 2025Prayagraj MahakumbhStory of Mahakumbh
Share196Tweet123Share49
Vinod

Vinod

Related Posts

Mahakumbh 2025

प्रयागराज महाकुंभ का समापन.. 45 दिन में 450 से ज्यादा FIR दर्ज, कैसे होगा निपटारा

by Akhand Pratap Singh
March 10, 2025

Mahakumbh 2025: विश्व प्रसिद्ध प्रयागराज महाकुंभ का समापन हो चुका है। इस भव्य आयोजन के दौरान सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाओं...

Vice President Jagdeep Dhankhar Health

MahaKumbh 66 करोड़ श्रद्धालूओं ने स्नान कर विश्व को भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की महानता से परिचित कराया, YOGI

by SYED BUSHRA
March 9, 2025

Grand Event of Mahakumbh,उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में हिस्सा लिया और...

कहानी प्रयागराज के पिंटू मल्लाह की, मां के जेवरात बेचकर बनाई 130 नाव फिर ऐसे कमाए 30 करोड़

कहानी प्रयागराज के पिंटू मल्लाह की, मां के जेवरात बेचकर बनाई 130 नाव फिर ऐसे कमाए 30 करोड़

by Vinod
March 6, 2025

प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क।  उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 45 दिनों तक महाकुंभ चला। इस दौरान करीब 66 करोड़ 30 श्रद्धालुओं...

Mahakumbh 2025 record crowd

Mahakumbh 2025:ऐतिहासिक आयोजन में खोए हज़ारों लोग अपनों से मिले, कैसे डिजिटल खोया-पाया केंद्र बने मददगार

by SYED BUSHRA
March 3, 2025

Prayagraj : महाकुंभ 2025 भव्य, दिव्य और सुव्यवस्थित रूप में संपन्न हुआ। इस आयोजन में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालु...

Katrina Kaif viral video

Viral video : महाकुंभ में लड़कों ने नहाते समय कैटरीना का बनाया वीडियो , रवीना ने इस शर्मनाक हरकत पर जताई नाराज़गी

by SYED BUSHRA
March 5, 2025

Katrina Kaif viral video महाकुंभ 2025 इन दिनों काफी चर्चा में है। त्रिवेणी संगम में आम लोगों से लेकर वीआईपी...

Next Post
Sonu sood lifestyle

Entertainment news:किस फिल्मी स्टार ने खोले, अपनी सेहत और सलमान के साथ हुए रोचक किस्से का राज

pistachio health benefits and precautions

Health Tips- किन लोगों के लिए पिस्ता खाना हो सकता है खतरा, जाने पूरी ख़बर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

News1India

Copyright © 2025 New1India

Navigate Site

  • About us
  • Privacy Policy
  • Contact

Follow Us

No Result
View All Result
  • राष्ट्रीय
  • देश
  • बिहार चुनाव 2025
  • विदेश
  • राज्य
    • दिल्ली
    • हरियाणा
    • राजस्थान
    • छत्तीसगढ़
    • गुजरात
    • पंजाब
  • क्राइम
  • टेक्नोलॉजी
  • धर्म
  • मौसम
  • ऑटो
  • खेल

Copyright © 2025 New1India

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

Go to mobile version