MahaKumbh 2025 : गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर इस बार महाकुंभ का आयोजन काफी भव्य होगा यह आयोजन पूरी दुनिया के लिए उदाहरण बन रहा है। देशभर से आए साधु-संतों और सन्यासियों ने इस महापर्व में भाग लेने के लिए संगम पर डेरा जमा लिया है। उनकी तपस्या, अद्वितीय व्रत और चमत्कारिक जीवनशैली श्रद्धालुओं का ध्यान खींच रहे हैं।
गंगापुरी जी महाराज, जो पिछले 32 वर्षों से स्नान नहीं कर रहे हैं, अपने इस अनूठे प्रण के कारण खास चर्चा में हैं। लोकल 18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि यह उनका विशेष संकल्प है। उन्होंने कहा, “गुरु के आशीर्वाद से अब तक बिना स्नान किए खुद को स्वस्थ रखा है। जब हमारा प्रण पूरा होगा, तभी स्नान करेंगे।” उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “यह हमारी मन की बीमारी है। जब मन करेगा, तब स्नान कर लेंगे।”
असम के अनोखे साधु और उनकी जटा का स्नान
महाकुंभ में असम के कामाख्या से आए एक खास साधु, जिनकी लंबाई सिर्फ 3 फीट 8 इंच है, ने भी अपनी अनोखी परंपरा से लोगों को चौंका दिया। उन्होंने बताया कि वे खुद संगम में स्नान नहीं करेंगे, बल्कि केवल उनकी जटा को स्नान कराया जाएगा। उनका कहना है, “जटा का स्नान शरीर की तुलना में आध्यात्मिक शुद्धिकरण का प्रतीक है।”
144 वर्षों बाद बना विशेष योग
इस महाकुंभ के महत्व को बतााते हुए साधुओं ने कहा कि 144 वर्षों बाद यह दुर्लभ योग बना है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की, “हर किसी को इस अवसर पर संगम में डुबकी लगाकर इस अद्वितीय पर्व का हिस्सा बनना चाहिए।”
57 वर्षीय गंगापुरी महाराज का जीवन और संदेश
57 वर्षीय गंगापुरी महाराज, जो अपनी छोटी कद-काठी के बावजूद जीवन में किसी बाधा को महसूस नहीं करते, बचपन से ही सन्यास का मार्ग अपना चुके हैं। उन्होंने कहा, “लंबाई का हमारे जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। साधना और तपस्या ही हमारा जीवन है।”
आस्था और तप का अद्भुत संगम
महाकुंभ 2024 आस्था, तप और प्रेरक कहानियों का अद्वितीय संगम बन गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन तट पर, हर कोई अपनी-अपनी साधना और विश्वास के माध्यम से इस महापर्व को समर्पित कर रहा है।