महाकुंभ में गंगा जल की शुद्धता पर यूपी सरकार ने किया दावा, वैज्ञानिक प्रमाण भी किए पेश

उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति जारी कर महाकुंभ में गंगा जल की शुद्धता को लेकर उठे संदेह को दूर करने का प्रयास किया है। सरकार ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय कुमार सोनकर के हवाले से कहा कि गंगा का जल 'क्षारीय जल की तरह' शुद्ध है।

Mahakumbh 2025

Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति जारी कर महाकुंभ में गंगा जल की शुद्धता को लेकर उठे संदेह को दूर करने का प्रयास किया है। सरकार ने प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय कुमार सोनकर के हवाले से कहा कि गंगा का जल ‘क्षारीय जल की तरह’ शुद्ध है। महाकुंभ जो इस वर्ष 13 जनवरी से प्रयागराज में जारी है इसमें अब तक 58 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम त्रिवेणी में डुबकी लगा चुके हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार ने केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के संदर्भ में यह विज्ञप्ति जारी की गई जिसमें महाकुंभ में गंगा जल की गुणवत्ता पर संदेह जताया गया था। जिसमें वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर संदेह को खारिज करने की कोशिश की गई है।

वैज्ञानिक अध्ययन से पुष्टि

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार प्रसिद्ध वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय कुमार सोनकर ने महाकुंभ नगर के संगम नोज और अरैल समेत पांच प्रमुख स्नान घाटों से पानी के नमूने एकत्र किए। इन नमूनों की लैब में गहन जांच की गई। विज्ञप्ति के मुताबिक वैज्ञानिक जांच से यह निष्कर्ष निकला कि करोड़ों श्रद्धालुओं के स्नान करने के बावजूद गंगा जल में न तो बैक्टीरिया की वृद्धि हुई और न ही पानी के पीएच वैल्यू में कोई गिरावट आई। इसके अलावा डॉ. सोनकर के शोध से यह भी पता चला कि गंगा जल में 1,100 प्रकार के प्राकृतिक वायरस ‘बैक्टीरियोफेज’ मौजूद होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं।

सीपीसीबी के आंकड़ों में उतार-चढ़ाव

जल की गुणवत्ता को लेकर विवाद तब खड़ा हुआ जब सीपीसीबी की रिपोर्ट में गंगा जल की जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) के स्तर में उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया। रिपोर्ट के अनुसार 13 जनवरी को महाकुंभ (Mahakumbh 2025) की शुरुआत में संगम पर नदी के जल की बीओडी 3.94 मिलीग्राम प्रति लीटर थी।

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14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन यह सुधरकर 2.28 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई और 15 जनवरी को यह घटकर 1 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई। हालांकि 24 जनवरी को यह बढ़कर 4.08 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गई और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) को यह 3.26 मिलीग्राम प्रति लीटर दर्ज की गई।

गंगा जल की पवित्रता बरकरार सरकार का दावा

सरकारी बयान में कहा गया कि वैज्ञानिक शोध और प्रयोगशाला परीक्षणों के बाद यह स्पष्ट हुआ कि गंगा जल की शुद्धता पर कोई संदेह नहीं किया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक महाकुंभ (Mahakumbh 2025) जैसे भव्य आयोजन में करोड़ों लोग संगम में स्नान कर रहे हैं इसके बावजूद जल की गुणवत्ता में कोई उल्लेखनीय गिरावट नहीं आई है। सरकार का दावा है कि श्रद्धालु गंगा स्नान को लेकर निश्चिंत रहें और जल की शुद्धता पर भरोसा बनाए रखें।

जल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान

महाकुंभ के दौरान संगम तटों पर जल प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। सरकार ने जल गुणवत्ता की निगरानी के लिए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की टीम गठित की है। इसके अलावा गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियां निरंतर काम कर रही हैं। गंगा जल की शुद्धता को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी यह बयान संशय को दूर करने का प्रयास है।

वैज्ञानिक प्रमाणों और शोधों के आधार पर यह दावा किया गया है कि गंगा जल में प्राकृतिक रूप से शुद्धता बनाए रखने की क्षमता है। सरकार और वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ है कि महाकुंभ के दौरान गंगा जल स्नान के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।

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