Mahakumbh 2025: महाकुंभ के समापन में बस 2 दिन शेष,जानिए क्या है अंतिम दिन का महत्व

महाकुंभ 2025 का समापन 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन होगा। इस दिन शाही स्नान, विदाई अनुष्ठान, भंडारा, भजन-कीर्तन जैसे कार्यक्रम होंगे। अखाड़ों के संत अगली कुंभ की तैयारियों पर चर्चा करेंगे और प्रशासन आधिकारिक रूप से समापन की घोषणा करेगा।

Mahakumbh 2025: 45 दिनों तक चलने वाला महाकुंभ अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन इस भव्य आयोजन का समापन होगा। शास्त्रों के अनुसार, महाकुंभ का समापन भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना कि इसका आरंभ। प्रयागराज में इस दिन भक्तों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है, क्योंकि सभी श्रद्धालु इस पावन अवसर पर शामिल होना चाहते हैं। आइए जानते हैं कि महाकुंभ के आखिरी दिन कौन-कौन से प्रमुख आयोजन होंगे।

अंतिम शाही स्नान का महत्व

महाकुंभ के समापन के दिन साधु-संत, अखाड़े, संन्यासी और श्रद्धालु गंगा, यमुना, क्षिप्रा या गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में अंतिम स्नान करते हैं। इसे संक्रमण स्नान भी कहा जाता है, जो आत्मिक और शारीरिक शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। इस पावन स्नान के बाद विशेष हवन, यज्ञ और पूजन किए जाते हैं, जिनमें वैदिक मंत्रों का उच्चारण और देवताओं का आह्वान किया जाता है। साधु-संतों द्वारा दिए गए आशीर्वाद को बेहद शुभ माना जाता है।

महाकुंभ विदाई अनुष्ठान

इसके समापन के साथ ही अखाड़ों के साधु-संत और श्रद्धालु अपने-अपने स्थानों के लिए प्रस्थान करने लगते हैं। इस दौरान कई अखाड़ों के महंत और संत पारंपरिक ध्वज, निशान आदि के साथ शोभायात्रा निकालते हैं, जो देखने लायक होती है। हालांकि, इस बार भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कुछ बदलाव किए हैं। इसके अलावा, समापन से पहले अखाड़ों के संत आपस में मिलते हैं और महाकुंभ में हुए आयोजनों की समीक्षा के साथ अगले कुंभ की तैयारियों पर चर्चा करते हैं।

विशाल भंडारा और प्रसाद वितरण

महाकुंभ के अंतिम दिन विशाल भंडारे और अन्नदान का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं को भोजन कराया जाता है। इस दिन आध्यात्मिक माहौल को और भी दिव्य बनाने के लिए संगीत, प्रवचन, कथा-वाचन, भजन-कीर्तन और नृत्य जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

आधिकारिक समापन और अगली कुंभ की घोषणा

महाकुंभ के समापन की आधिकारिक घोषणा स्थानीय प्रशासन और कुंभ आयोजन समिति द्वारा की जाती है। इसी के साथ अगले कुंभ मेले की संभावित तिथियों की जानकारी भी दी जाती है, ताकि श्रद्धालु इसकी तैयारियां पहले से कर सकें। यह पूरा आयोजन भव्य, आध्यात्मिक और दिव्य माहौल में संपन्न होता है, जो सभी के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।

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