Mumbai to mahakumbh कौन है, यह मुंबई का युवक, जो आस्था की डुबकी लगाने इस पर…… ही निकल पड़ा

मुंबई के गौरव राणे महाकुंभ में स्नान के लिए 1500 किलोमीटर की यात्रा स्कूटी से कर रहे हैं। ट्रेन और फ्लाइट के टिकट महंगे होने के कारण उन्होंने स्कूटी से यात्रा की और रास्ते में धार्मिक स्थानों का दर्शन किया।

Gaurav Rane Mahakumbh scooter journe

Gaurav Rane Mahakumbh scooty journey : प्रयागराज महाकुंभ का आयोजन हमेशा ही धार्मिक आस्था के लिए एक खास महत्व रखता है। इस महाकुंभ में लाखों लोग एक साथ आकर पवित्र संगम में स्नान करने के लिए आते हैं। अब एक शख्स की यात्रा की कहानी सामने आई है, जिसने महाकुंभ जाने के लिए न केवल कठिन रास्ता अपनाया, बल्कि इसके लिए स्कूटी से यात्रा करना शुरू कर दिया। मुंबई से प्रयागराज के लिए इस शख्स की यह यात्रा न सिर्फ उत्साह से भरी हुई है, बल्कि इसमें विश्वास और संकल्प की भी झलक है।

स्कूटी पर निकल पड़े गौरव राणे

गौरव सूर्यकांत राणे, जो मुंबई के निवासी हैं, का सपना था कि वह महाकुंभ में स्नान करें। लेकिन जब उन्होंने अपनी यात्रा की योजना बनाई तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा। ट्रेन का टिकट मिलने में विफल रहने के बाद, फ्लाइट का टिकट भी बहुत महंगा था। इसके बाद, उन्होंने ठान लिया कि वह स्कूटी से ही प्रयागराज जाएंगे। यही नहीं, उन्होंने अपनी स्कूटी के पीछे ‘मुंबई टू महाकुंभ’ भी लिखा लिया। 26 जनवरी को अपनी स्कूटी पर यात्रा शुरू करने के बाद गौरव राणे ने 1500 किलोमीटर का सफर तय किया।

यात्रा का दिन प्रतिदिन का अनुभव

गौरव राणे ने बताया कि वह दिन में ज्यादा यात्रा करते थे और रात में 9 बजे तक किसी न किसी जगह रुक जाते थे। जहां भी उन्हें रुकने का मौका मिलता, चाहे होटल हो या धर्मशाला, वह वहीं रुक जाते। राणे ने यह भी बताया कि वह इस यात्रा से जीवन के नए अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। रास्ते में उन्होंने ओंकारेश्वर, उज्जैन के महाकाल और कालभैरव महाराज का दर्शन भी किया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य तो महाकुंभ में स्नान करना था, लेकिन वह इस यात्रा के दौरान मिलने वाले धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभवों को भी अपना सौभाग्य मानते हैं।

यात्रा का अंत बसंत पंचमी पर स्नान

गौरव राणे का लक्ष्य है कि वह  प्रयागराज पहुंचें और महाकुंभ में स्नान करें। इसके बाद वह स्कूटी से ही मुंबई लौटेंगे। उनका कहना है कि यह यात्रा न केवल एक भक्ति यात्रा है, बल्कि उनके लिए एक व्यक्तिगत अनुभव भी है, जिसे वह जीवन भर याद करेंगे। गौरव राणे की इस यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया कि आस्था और संकल्प अगर मजबूत हो, तो कोई भी बाधा उसे रोक नहीं सकती।

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