महाराष्ट्र में सियासी हलचल एक बार फिर शुरू हो गया। एक बार फिर राज्य के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। दरअसल एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों ने मुंबई के बीकेसी मैदान में दशहरा रैली का आयोजन किया। इस दौरान बालासाहेब के मंझले बेटे व उद्धव ठाकरे के बड़े भाई जयदेव ठाकरे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ मंच साझा किया।
बड़ी बात ये है कि इस दौरान जयदेव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों अपना समर्थन दिखाने आए थे। इस दौरान एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे की कुर्सी पर भी श्रद्धांजलि भी दी। साथ ही 51 फीट की तलवार पर ‘शस्त्र पूजा’ की गई। जिसके लिए यूपी के अयोध्या से एक महंत को बुलाया गया था।
रुपया गिरता है तो देश की इज्जत गिरती है
इसी बीच रामदास कदम ने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से एक प्रश्न पूछते हुए उनपर तंज कसा। कहा कि में पूछना चाहता हूं कि आपके भाई बिंदु अब माधव दुनिया में नहीं हैं परंतु उनके बेटे एकनाथ शिंदे के साथ न्यायिक लड़ाई में खड़े हैं। वहीं जयदेव ठाकरे और राज ठाकरे ने पार्टी से नाता तोड़ लिया है। आगे उन्होंने कहा कि तुम अपना परिवार तक नहीं संभाल सकते तो राज्य क्या ही संभालेंगे।
इसी बीच उद्धव ठाकरे ने भी मुंबई के शिवाजी पार्क में दशहरा रैली का आयोजन किया था। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर हमला किया। उन्होंने कहा कि जब 2014 में मोदी जी सत्ता में आए थे तब डॉलर का रेट क्या था और आज क्या है। तो वहीं सुषमा स्वराज ने कहा था कि जब रुपया गिरता है तो उसके साथ देश की इज्जत भी गिरती है।
जो हिंदुत्ववादी हैं सामने आए
उन्होंने आगे कहा कि अमित शाह को गृह मंत्री कहा जाना चाहिए या प्रचार मंत्री, समझ में नहीं आ रहा क्योंकि उनका काम सिर्फ सरकार गिराना है। गृह मंत्री कहते हैं कि शिवसेना को जमीन दिखाओ तो उन्हें बता दें कि हम जमीन पर ही हैं। आप सिर्फ चीन से थोड़ी सी जमीन ही वापस लेकर दिखा दो। जो हिंदुत्ववादी हैं सामने आए। हम अपना हिंदुत्व बता रहे हैं वो अपना हिंदुत्व बताएं।
वहीं उद्धव ठाकरे ने कहा कि देश लगातार तानाशाही की तरफ बढ़ता जा रहा है। तो वहीं उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का मैं आदर करता हूं। क्योंकि मोहन भागवत जी ने आज महिला शक्ति की बात की है तो मैं आपसे सवाल पूछना चाहता हूं अंकिता भंडारी की हत्या करने वाले बीजेपी नेता के क्या आप फांसी दोगे। आगे उन्होंने कहा कि बिल्किस बानो के रेपिस्ट को गुजरात सरकार ने छोड़ दिया ये शर्म की बात है। और फिर उनका स्वागत किया गया। तो क्या ये महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।