लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती बृहस्पतिवार को लखनऊ पहुंची। मौका था कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि। मैदान था राजधानी का कांशीराम स्मारक स्थल। यहां बहुजन समाज पार्टी की महारैली हुई। जिसमें मायावती ने दुनिया को दिखा दिया कि वह दलित राजनीति में आज भी एक अहम शक्ति हैं। इस रैली में 5 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं की भीड़, मायावती का 3 घंटे तक मंच पर डटे रहना और सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ के साथ समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला, उनकी प्रासंगिकता और रणनीतिक चातुर्य को दर्शाता है। यह रैली 2027 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोटबैंक को एकजुट करने और बसपा को दलित राजनीति का केंद्र बनाए रखने की कोशिश है।
बसपा प्रमुख मायावती ने लाखों की संख्या में आए अपने सर्मथकों से कहा कि वह 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं। कांशीराम की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाएं। बीएसपी चीफ ने मंच से ब़ड़ा ऐलान भी किया। उन्होंने कहा कि बीएसपी किसी दल के साथ चुनाव में गठबंधन नहीं करेगी। वह अकेले चुनाव के मैदान में उतरेगी। बसपा प्रमुख ने साफ तौर पर कहा कि गठबंधनों से बहुजन समाज पार्टी कभी भी फायदे में नहीं रही। वहीं, पार्टी का फायदा उठाकर सहयोगी दल मजबूत होते गए। ऐसे में उन्होंने यूपी चुनाव 2027 में अकेले दम पर उतरने का ऐलान कर दिया। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं को बहुजन समाज को एक बार फिर मुख्य धारा में लाने के लिए जुट जाने का आह्वान किया।
बसपा प्रमुख मायावती ने गठबंधन और बिना गठबंधन पार्टी की स्थिति को लेकर लखनऊ में कांशीराम परिनिर्वाण दिवस रैली के मंच से कार्यकर्ताओं को समझाया। उन्होंने चार उदाहरणों का जिक्र किया। मायावती ने पार्टी गठन के बाद गठबंधन की राजनीति में बसपा के पिछड़ने का जिक्र यूपी चुनाव 1993 से किया। इस चुनाव में बसपा-सपा गठबंधन चुनावी मैदान में उतरी। उस समय राम मंदिर आंदोलन का जोर था। यूपी की राजनीतिक फिजाओं में नारा गूंजा, ’मिले मुलायम-कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम’। इस बड़े जातीय गठबंधन में यूपी की सत्ता से बीजेपी को बाहर कर दिया, लेकिन बसपा केवल 67 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई थी। बीएसपी चीफ ने कहा कि हमारा गठबंधन का पहला प्रयोग असफल रहा, जबकि सपा को इसका फाएदा हुआ।
मायावती ने दूसरा उदाहरण बताते हुए ं कहा कि 1996 के चुनाव में बसपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया। इस चुनाव में भी बसपा को कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ। मायावती ने कहा कि इस चुनाव में भी हम (बसपा) केवल 67 सीटें जीत पाए। उन्होंने 2002 के विधानसभा चुनाव का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में हम अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरे। इसमें हमें 100 से अधिक सीटों पर जीत मिली। मायावती ने यूपी चुनाव 2007 का भी उदाहरण दिया। इस चुनाव में बसपा बहुजन से सर्वजन का नारा के साथ उतरी थी। मायावती ने कहा कि इस चुनाव में हम 200 से अधिक सीटों पर जीते। पांच साल तक अकेले दम पर सरकार चलाई। मायावती ने कहा कि बीएसपी को गठबंधन से नुकसान हुआ है। ऐसे में अब हम एकला चलेंगे। फिर से खड़े होंगे और सरकार बनाएंगे।
लखनऊ के मंच से लाखों कार्यकर्ताओं के समक्ष मायावती ने यूपी चुनाव 2027 को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि इस बार अकेले ही हम चुनावी मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा कि जहां तक अकेले चुनाव लड़ने का सवाल है तो अभी तक के अनुभव से बता रही हूं, जब-जब गठबंधन किया , हमें फायदा नहीं हुआ। मायावती ने कहा कि हमारा वोट तो ट्रांसफर हो जाता है, लेकिन अपर कास्ट का वोट हमें नहीं मिलता है। बसपा प्रमुख ने कहा कि हमारी पार्टी के बहुत कम उम्मीदवार जीत पाते हैं, वोट परसेंट भी गिरता है। बाद में सरकार गिर जाती है।
मायावती ने कहा कि इस रैली में अन्य दलों की तरह पैसे देकर लोग नहीं बुलाए गए हैं बल्कि अपनी खून-पसीने की कमाई खर्च कर आए हैं। इस रैली ने यहां पर हुई पहले सभी रैलियों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इससे लगता है कि 2027 में यूपी में एक बार फिर पूर्ण बहुमत से बसपा की सरकार बनेगी। उन्होंने वादा किया कि वह कोई कसर नहीं छोड़ेंगी। मायावती ने कहा कि जातिवादी दल संविधान को बदलने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन हम ऐसा नहीं करने देंगे। भले ही इसके लिए कितना भी संघर्ष करना पड़े। बसपा ही एक ऐसी पार्टी है जो बाबा साहेब के संविधान को सुरक्षित रख सकती है। उन्होंने 2027 में समर्थकों से यूपी में बसपा सरकार बनाने का आह्वान किया। कहा कि इसके लिए बसपा समर्थकों को बूथ स्तर पर छोटी-छोटी सभाएं कर बसपा के यूपी में चार बार रहे शासनकाल की उपलब्धियों को बताना है।
मायावती ने कहा कि प्रदेश में बसपा की सरकार बनने पर उन सभी कानूनों को बदल दिया जाएगा जो कि दलितों-पिछड़ों के खिलाफ हैं। राज्य में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय की सोच वाली सरकार बनेगी। लोगों को अपनी रोजी-रोटी के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा। मायावती ने कहा कि 2007 में यूपी में पूर्ण बहुमत की बसपा की सरकार आने के बाद जातिवादी पार्टियों कांग्रेस, भाजपा व सपा ने षडयंत्र किया और बसपा को केंद्र की सत्ता तक नहीं पहुंचने दिया। रही सही कसर ईवीएम की मदद ली जबकि बैलेट पेपर से चुनाव हो सकते हैं। इन दलों ने अब दलित वोटों को बांटने के लिए बिकाऊ लोगों को खरीदकर बसपा को कमजोर करने की साजिश कर रही हैं।। मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने देश में इमर्जेंसी लगातार बाबासाहेब के संविधान का अपमान किया था और कभी भी उनका सम्मान नहीं किया और अब कांग्रेस के लोग हाथ में संविधान की कापी लेकर नाटकबाजी कर रहे हैं।
मायावती ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि दलितों-पिछड़ों को साथ मिलाकर सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में लेनी होगी। उनका ये सपना कांशीराम जी के जीते जी तो पूरा नहीं हो सका पर हमने पहले तीन बार मिलीजुली और फिर यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई है। हमने दलितों और पिछड़ों के साथ ही समानतावादी विचारधारा रखने वाले समर्थकों को भी साथ लेकर कांशीराम जी का सपना पूरा किया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान कांग्रेस व भाजपा की केंद्र की सरकारों ने सीबीआई और इंकम टैक्स की मदद से केस लगाकर हमारी छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया। इसके लिए हमें माननीय कोर्ट की भी मदद लेनी पड़ी। हमने बसपा सरकार के दौरान सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की ऐसी सत्ता दी है जिसे अभी भी जनता नहीं भुला पाई है।