लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। सपा की सरकार ने बीएसपी की सरकार में बने स्मारकों व पार्कों की उपेक्षा की थी, जबकि योगी सरकार ने उनके अनुरोध को मानते हुए टिकटों से आए धन से इनका रखरखाव किया था। जिसे लेकर रैली में उन्होंने योगी सरकार का आभार प्रकट किया और अब राजनीतिक विद्वेष के कारण ये लोग बीएसपी पर मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं। इन दलों में स्वस्थ राजनीतिक ईमानदारी और साहस नहीं है। ये बातें बीएसपी चीफ मायावती ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं के साथ बैठक के बाद बयान जारी कर कहीं।
बीएसपी चीफ मायावती ने सपा-कांग्रेस पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि इन दलों में राजनीतिक ईमानदारी और साहस नहीं है। यही कारण है कि प्रदेश सरकार के प्रति मेरा आभार प्रकट करना इन लोगों को पसंद नहीं आया। बीएसपी चीफ ने कहा कि लखनऊ की रैली में उमड़े जलसैलाब के कारण इनलोगों की नींद उड़ी हुई है। इसी के चलते बीएसपी को बदनाम करने की कोशिश सपा-कांग्रेस के तरफ से की जा रही है। मायावती ने डंके की चोट पर कहा कि 2027 के चुनाव में बीएसपी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। किसी के साथ बीएसपी गठबंधन नहीं करेगी
बीएसपी चीफ मायावती ने रैली में सरकारी बसों के प्रयोग पर भी पलटवार करते हुए कहा कि रैली में बीएसपी के समर्थक अपना धन खर्च करके दूर-दूर से आए थे। रैली में सरकारी बसों के इस्तेमाल की बातें आधारहीन हैं। दरअसल, रैली में योगी सरकार को लेकर दिए गए अपने बयान के बाद मायावती सपा-कांग्रेस के निशाने पर आ गईं थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व कांग्रेस ने उन पर बीजेपी से मिलीभगत के आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने कहा था कि ऐसे समय में जब देश में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं बसपा सुप्रीमो भाजपा सरकार की तारीफ कर रही हैं।
सपा-कांग्रस की तरफ से यह भी आरोप लगाए गए थे कि रैली को सफल बनाने के लिए सरकारी बसों में भरकर भीड़ लाई गई थी जिस पर मायावती ने जवाब देते हुए कहा कि पार्टी के लोग प्राइवेट बसों और ट्रेनों में अपना किराया देकर रैली में शामिल होने आए थे। इस तरह की बातें पूरी तरह आधारहीन हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से इस तरह के आरोपों से सावधान रहने की अपील की। मायावती ने बृहस्पतिवार को पदाधिकारियों के साथ बैठक की। पंचायत और विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन किया। इस बैठक में बीएसपी चीफ के भतीजे नहीं शामिल हुए।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है। इस बैठक में प्रदेश भर से वरिष्ठ बसपा नेता, जिला अध्यक्ष, समन्वयक और अन्य प्रमुख पदाधिकारी शामिल हुए। बसपा की बैठक में आकाश आनंद के शामिल नहीं हुए हैं जिसे लेकर कई तरह से क़यास लगने शुरू हो गए हैं। बताया जा रहा है कि आकाश आनंद इन दिनों बिहार के दौरे पर है, जहां वो बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ रणनीति बनाने में जुटे हैं। इसी के कारण वह बैठक में शामिल नहीं हुए। महारैली के बाद हुई इस बड़ी बैठक में मायावती ने कई निर्णय भी लिए हैं, जो आने वाले दिनों में जमीन पर भी दिखाई देंगे।
बता दें कि 9 अक्टूबर को कांशीराम की 19वीं पुण्यतिथि पर आयोजित ’महासंकल्प रैली’ की सफलता के बाद पार्टी की आगामी रणनीति और संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा होगी। पार्टी के संगठन को मजबूत करने और बूथ स्तर तक सक्रिय करने पर जोर दिया जाएगा। मुस्लिम, अति पिछड़े, दलित और ब्राह्मण चेहरों को साधने के लिए भाईचारा कमेटियों के माध्यम से प्रयास किए जाएंगे। मायावती के भतीजे आकाश आनंद पूरे प्रदेश में जनसभाएं करेंगे और पार्टी की गतिविधियों को बढ़ावा देंगे। इस बैठक में लिए गए निर्णयों से बसपा के पुनरुत्थान और 2027 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को मजबूती मिल सकती है।
पार्टी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 9 अक्टूबर को लखनऊ में जो रैली हुई वो आयोजन काफी सफल रहा था। पार्टी की ओर से इसके लिए सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को धन्यवाद कहा गया है। बसपा का मानना है कि अब भी लोग पार्टी के साथ खड़े हैं। ऐसे में अब आने वाले चुनाव को लेकर पार्टी को अभी से तैयारियां करनी होगी। जानकार बता रहे हैं कि मिशन 2027 को सफल बनाने के लिए मायावती 2007 वाले फॉर्मूले पर काम करना शुरू कर दिया है। खुद मायावती जिले, मंडल और तहसीलों में जाएंगे। कार्यकर्ता और पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। छोटी-छोटी जनसभाएं भी मायावती करेंगी।