MCD की मिनी फूड वैन पॉलिसी में बड़ा बदलाव: मॉडिफाइड ई-रिक्शा कार्ट को मिली मंज़ूरी

MCD ने मिनी फूड वैन पॉलिसी फिर से शुरू कर दी है, जिसमें मॉडिफाइड ई-रिक्शा कार्ट को मंजूरी दी गई है। ये वैन रिहायशी गलियों में स्वच्छ, पैकेट वाला भोजन बेचेंगी, जिसका लक्ष्य भीड़ कम करना और स्थानीय रोज़गार पैदा करना है।

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MCD Mini Food Van Policy: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के गली-मोहल्लों में अब जल्द ही एक समान आकार वाली मिनी फूड वैन घूमती नजर आएंगी। दिल्ली नगर निगम (MCD) ने अपनी फूड वैन पॉलिसी को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है, जिसमें एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए मॉडिफाइड ई-रिक्शा कार्ट्स को मंजूरी दी गई है। इस पहल का उद्देश्य दिल्लीवासियों को उनके रिहायशी इलाकों में ही स्वच्छ और स्वास्थ्यकर भोजन, फल और सब्जियां आसानी से उपलब्ध कराना है, जबकि मुख्य सड़कों और बाजारों में होने वाली भीड़भाड़ से बचना है। नई पॉलिसी के तहत ई-रिक्शा को संशोधित कर एक ही डिज़ाइन की मिनी फूड वैन चलाई जाएंगी। वर्तमान योजना के अनुसार, एमसीडी के प्रत्येक वार्ड में ऐसी पांच वैन को संचालन की अनुमति देने का विचार है।

ऑपरेटरों के लिए नियमों को सख्त किया गया है, जिसके तहत ये वैन एक स्थान पर 30 मिनट से अधिक नहीं रुक सकेंगी। इस कदम को न केवल नागरिकों की सुविधा के लिए, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार पैदा करने और सड़कों पर होने वाली अवैध वेंडिंग पर अंकुश लगाने के एक बड़े प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

संचालन के नियम और प्रतिबंध

MCD द्वारा शुरू की जा रही इन मिनी फूड वैन के संचालन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश बनाए जा रहे हैं। इन ई-कार्ट्स को केवल पैकेट वाला और पहले से पकाया हुआ खाने का सामान बेचने की अनुमति होगी। हालांकि, ग्राहकों की सुविधा के लिए खाना गर्म करने की व्यवस्था इसमें उपलब्ध रहेगी। एक वरिष्ठ एमसीडी अधिकारी के अनुसार, इन वैन की एंट्री नॉन-कॉमर्शियल और रिहायशी गलियों तक ही सीमित होगी, जिससे ये बाजार के इलाकों या मेन सड़कों पर भीड़भाड़ नहीं बढ़ाएंगी।

लाइसेंसिंग और ऑपरेटर की अनिवार्यताएँ

भीड़भाड़ और डुप्लीकेशन से बचने के लिए एमसीडी इन फूड वैन के लिए विशिष्ट ऑपरेशनल ज़ोन तय करेगी। एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि ऑपरेटर को उसी वार्ड या MCD ज़ोन का निवासी होना चाहिए, जहां वे काम करना चाहते हैं। आवेदकों को एमसीडी के स्वास्थ्य विभाग से आवश्यक लाइसेंस लेना होगा और जारी की जा रही विस्तृत गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करना होगा। पहले के नियमों के तहत ऑपरेटरों के लिए टाइफाइड का टीका लगवाना और नियमित मेडिकल चेक-अप करवाना अनिवार्य था, जिसे पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया था।

रोजगार सृजन और स्वच्छता पर ज़ोर

यह कॉन्सेप्ट सबसे पहले 2021 में पुराने नॉर्थ एमसीडी में शुरू किया गया था, लेकिन मई 2022 में तीनों निगमों के एकीकरण के बाद इसका कार्यान्वयन रुक गया था। पायलट फेज के दौरान, सिटी-सदर पहाड़गंज जोन में 30 लाइसेंस जारी किए गए थे, जिसके लिए ऑपरेटरों ने ₹25,000 की सालाना हेल्थ ट्रेड लाइसेंस फीस और ₹10,000 की वन टाइम रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान किया था। अधिकारियों का कहना है कि नई पॉलिसी के तहत अगर 1,000 से अधिक फूड वैन आवेदनों को मंजूरी मिलती है, तो इससे बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार पैदा हो सकता है।

डिजाइन और हाइजीन के मानक

नई MCD ई-कार्ट्स का डिज़ाइन एक जैसा होगा, ताकि एकरूपता बनी रहे, हालांकि ऑपरेटर अपनी पसंद के अनुसार वैन के रंग और ब्रांडिंग में बदलाव कर सकते हैं। स्वच्छता को प्राथमिकता देते हुए, खाने को धूल और मक्खियों से बचाने के लिए वैन को पूरी तरह से ढका होना अनिवार्य है। इसके अलावा, ऑपरेटरों को कचरे का उचित निपटान सुनिश्चित करने के लिए वैन में कूड़ेदान रखना भी आवश्यक होगा। यह कदम दिल्ली की सड़कों पर स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा दोनों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

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