(मोहसिन खान) नोएडा डेस्क। प्रेमी साहिल के प्यार में पागल होकर पति सौरभ का बेरहमी से कत्ल करने वाली मुस्कान प्रेग्नेंट है। मेरठ जेल में मुस्कान (Merrut Murder Case) की तबियत बिगड़ने पर कराए गए टेस्ट में प्रेग्नेंसी की पुष्टि हुई और इसके बाद तरह तरह की चर्चाओं ने जन्म ले लिया। बच्चे के जन्म से लेने से पहले ही उसके पिता पर सवाल उठ खड़े हुए…सवाल सीधा और वाजिब सा ये कि मुस्कान के गर्भ में पल रहा बच्चा किसका है। मुस्कान के गर्भ में पल रहे बच्चे का पिता मृतक सौरभ है या फिर मुस्कान का प्रेमी साहिल या फिर कोई ओर।
दरअसल ये सवाल किसी ओर ने नहीं बल्कि मृतक सौरभ (Merrut Murder Case) के भाई ने उठाए है। क्योंकि यहां मसला बच्चे के पिता का ही नहीं बल्कि उसकी परवरिश का भी है। क्योंकि जेल मेन्युअल के मुताबिक जन्म के पैदाइश के बाद 6 साल तक बच्चा जेल परिसर में अपनी मां के साथ बैरक में रह सकता है और फिर उसके बाद वो जेल से बाहर आएगा। अब 2 अहम् सवाल। पहला-मुस्कान के गर्भ में पल रहा बच्चा किसका है। दूसरा-बच्चे की परवरिश कौन करेगा
मृतक सौरभ के भाई राहुल उर्फ बबलू ने मुस्कान की प्रेग्नेंसी की ख़बर सामने आने के बाद डीएनए टेस्ट कराए जाने की मांग कर डाली। उसका कहना है कि डीएनए टेस्ट में अगर पुष्टि हो जाती है कि बच्चा सौरभ का है तो वो उसकी आखिरी निशानी समझकर ना केवल स्वीकार करेंगे बल्कि उसकी अच्छे से परवरिश भी करेंगे लेकिन अगर बच्चा सौरभ का नहीं होगा तो फिर उससे क्या ही मतलब रह जाएगा। हालाकि इस बीच राहुल ने मुस्कान के गर्भवती होने पर कई सवाल भी खड़े कर दिए है।
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क्योंकि राहुल का दावा है कि करीब 2 साल बाद लंदन से आने के बाद सौरभ मुस्कान (Merrut Murder Case) के साथ केवल 6 दिन ही रहा और उसके बाद हत्या कर दी गई। जबकि वारदात को अंजाम देने के बाद उत्तराखंड और हिमाचल से मुस्कान और साहिल की जो वीडियो सामने आई उसको देखकर राहुल का ये भी कहना है कि दोनो नशे में दिखे, दोनो के संबध भी बने होंगे। राहुल तो यहां तक कह डाला कि बच्चा साहिल का भी हो सकता है और किसी तीसरे शख्स का भी।
उधर मुस्कान के प्रेग्नेंट होने पर उसकी सजा को लेकर भी कानूनविदो में चर्चाएं छिड़ गई है। लीगल एक्सपर्ट मानते है कि बीएमएस की धारा 546 कहती है कि अगर किसी महिला को फांसी की सजा दी जाती है और उस वक्त वो गर्भवती पाई जाती है तो उसको उम्रकैद में तब्दील कर दिया जाएगा। दूसरा मुस्कान का गर्भवती होना ज़मानत का आधार नहीं हो सकता है और ना ही इससे केस पर कोई फर्क पड़ेगा। बता दें कि महिला बंदी के गर्भवती होने पर उसको जेल के भीतर ही इलाज से लेकर डाइट तक की सुविधाएं मिलती है।