Ministry of Culture: कम्युनिस्टों के देश में कौन लगा रहा प्रदर्शनी,कलमीकिया में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के कब तक होंगे दर्शन

संस्कृति मंत्रालय 24-28 सितंबर तक रूस के कलमीकिया में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी आयोजित करेगा। फोरम में चार प्रदर्शनियां, तीन शैक्षणिक व्याख्यान और वरिष्ठ भिक्षुओं का प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेगा।

Exhibition of Lord Buddha Relics Russia

Exhibition of Lord Buddha Relics Russia : संस्कृति मंत्रालय ने सोमवार को जानकारी दी कि राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को 24 से 28 सितंबर तक रूस के कलमीकिया गणराज्य में प्रदर्शित किया जाएगा। यह प्रदर्शनी कलमीकिया की राजधानी एलिस्टा में आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय बौद्ध फोरम के दौरान लगाई जाएगी।

फोरम का मुख्य आकर्षण

मंत्रालय ने बताया कि नई सहस्त्राब्दी में बौद्ध धर्म पर आयोजित इस फोरम का मुख्य आकर्षण भारत से लाए गए शाक्यमुनि के पवित्र अवशेष होंगे। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा आयोजित चार प्रदर्शनियां और तीन विशेष शैक्षणिक व्याख्यान भी फोरम का हिस्सा होंगे

वरिष्ठ भिक्षुओं का प्रतिनिधिमंडल

राष्ट्रीय संग्रहालय से पवित्र अवशेषों को प्रथम प्रदर्शनी के लिए कलमीकिया भेजा जाएगा। उनके साथ वरिष्ठ भारतीय और अंतरराष्ट्रीय भिक्षुओं का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी जाएगा। यह प्रतिनिधिमंडल उस क्षेत्र की बौद्ध बहुल आबादी को आशीर्वाद देने और प्रार्थना करने में सक्षम बनाएगा।

प्रदर्शनी और शैक्षणिक कार्यक्रम

इस फोरम में न केवल अवशेषों की प्रदर्शनी होगी, बल्कि बौद्ध धर्म पर ज्ञान बढ़ाने के लिए विशेष शैक्षणिक व्याख्यान भी आयोजित किए जाएंगे। चार प्रदर्शनियों के माध्यम से बौद्ध धर्म के इतिहास, संस्कृति और दर्शन को दर्शकों के सामने रखा जाएगा।

बौद्ध धर्म का अंतरराष्ट्रीय मंच

कलमीकिया में आयोजित यह अंतरराष्ट्रीय फोरम बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को उजागर करने का अवसर है। भारतीय पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी से स्थानीय लोगों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के बीच बौद्ध धर्म के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ेगी।

24 से 28 सितंबर तक रूस के कलमीकिया में आयोजित यह प्रदर्शनी न केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष अनुभव होगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर भी प्रदान करेगा।

Exit mobile version