Aarti Sathe : बॉम्बे हाई कोर्ट में अधिवक्ता आरती अरुण साठे की न्यायाधीश पद पर नियुक्ति को लेकर राजनीतिक विवाद गर्मा गया है। एनसीपी के विधायक रोहित पवार ने इस सिफारिश पर सवाल उठाते हुए कहा है कि किसी भी व्यक्ति को, जो राजनीतिक दल से जुड़ा हो, उच्च न्यायपालिका में नियुक्त करना लोकतंत्र की निष्पक्षता और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरा है। सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 28 जुलाई को देश के छह हाईकोर्टों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सिफारिश की थी, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के लिए अधिवक्ता आरती साठे, अजीत कडेथांकर और सुशील घोडेश्वर के नाम शामिल थे।
बीजेपी प्रवक्ता रह चुकी हैं आरती
आरती साठे पहले भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता और मुंबई बीजेपी के विधि प्रकोष्ठ की प्रमुख रह चुकी हैं। हालांकि, उन्होंने जनवरी 2024 में व्यक्तिगत व पेशेवर कारणों से पार्टी और अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। रोहित पवार ने सोशल मीडिया पर आरती साठे के बीजेपी से संबंधों को लेकर चिंता जताई और इस नियुक्ति पर पुनर्विचार की मांग की। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे साठे की पेशेवर योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहे, बल्कि न्यायपालिका की निष्पक्षता के पक्षधर हैं।
बीजेपी ने क्या कहा ?
महाराष्ट्र बीजेपी ने इस आरोप को पूरी तरह नकारते हुए कहा कि आरती साठे अब पार्टी से जुड़ी नहीं हैं और उनकी नियुक्ति केवल उनकी योग्यता के आधार पर की गई है। पार्टी प्रवक्ता नवनाथ बन ने यह भी बताया कि न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में कोई राजनीतिक दबाव नहीं डाला गया।
यह भी पढ़ें : मेरठ की मीनाक्षी और लायवा ने उड़ाई “ड्रोन चोरों” की…
आरती साठे एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जिन्हें फरवरी 2023 में महाराष्ट्र बीजेपी का प्रवक्ता नियुक्त किया गया था। वे जनवरी 2024 में पार्टी से अलग हो गईं। इनके पिता, अरुण साठे, भी एक प्रतिष्ठित अधिवक्ता हैं और लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी से जुड़े रहे हैं। अरुण साठे बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रह चुके हैं।