नई दिल्ली। लोकसभा से नारी शक्ति अधिनियम को पास करा लिया गया है. अब आज इस बिल पर राज्ससभा में चर्चा होगी. नए पार्लियामेंट के निम्न सदन यानी लोकसभा में कल का दिन बहुत ही ऐतिहासिक था. पिछले तीन दशकों से कई राजनीतिक पार्टियों द्वारा इसको संसद से पास कराने की कवायद की गई थी, लेकिन 20 सितबंर के दिन इसको पहली बार राज्यसभा से पास करा लिया गया है.
पहली बार लोकसभा से प्राप्त हुआ बिल
बता दें कि लोकसभा में सदन की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस बिल का सपोर्ट किया था और लोकसभा में बिल के समर्थन में 454 और इसके विरोध में 2 वोट पड़े थे. अब इस अधिनियम को राज्यसभा में इसको पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी. इससे पहले इस खास बिल को राज्यसभा से पास करा लिया गया था, लेकिन अब इस बार पहली बार लोकसभा से प्राप्त हुआ है.
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एससी-एसटी के लिए इतनी सीटें आरक्षित
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं, इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा.
128वां संविधान संशोधन विधेयक
गौरतलब है कि महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है. कानून बनने के बाद महिलाओं को लोकसभा और राज्यों विधानसभाओं में 33% की भागीदारी मिलेगी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. लेकिन पुदुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गई हैं.