Ajmer Dargah: अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में हिंदू शिव मंदिर होने के दावे से जुड़े वाद को अदालत ने बुधवार को स्वीकार कर लिया। न्यायालय ने इस मामले में पक्षकारों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। दिल्ली के निवासी और हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने विभिन्न साक्ष्यों के आधार पर दावा किया था कि अजमेर दरगाह में पहले संकट मोचन महादेव मंदिर था।
कोर्ट ने याचिका पर जारी किया नोटिस
मामले में मंगलवार को सुनवाई (Ajmer Dargah) के बाद आज भी अदालत में सुनवाई हुई। न्यायालय ने वाद स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मामलात विभाग और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। वादी विष्णु गुप्ता ने हरदयाल शारदा द्वारा लिखी पुस्तक का संदर्भ देते हुए वाद दायर किया जिसमें अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को होगी।
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हिंदु पक्ष ने क्या दावा किया
याचिका में (Ajmer Dargah) दावा किया गया है कि वर्तमान दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था जहां पूजा और जलाभिषेक किया जाता था। याचिका में अजमेर निवासी हर विलास शारदा द्वारा 1911 में लिखी गई पुस्तक का हवाला दिया गया है जिसमें दरगाह के स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है।
यह भी कहा गया है कि दरगाह परिसर में मौजूद 75 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे के निर्माण में मंदिर के मलबे के हिस्सों का उपयोग किया गया है और तहखाने में गर्भगृह होने के प्रमाण भी मौजूद हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले हिंदू सेना ने इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष याचिका दाखिल की थी, लेकिन न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने इसे अपने क्षेत्राधिकार से बाहर बताते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया था। इसके बाद याचिका जिला अदालत में दायर की गई।