Al-Falah यूनिवर्सिटी के चेयरमैन की गिरफ्तारी कैसे और क्यों हुई? किस पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई बड़ी कार्रवाई

अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर फर्जी मान्यता के दावों और अवैध कमाई का आरोप लगा। ईडी ने चेयरमैन को गिरफ्तार कर अब मनी लॉन्ड्रिंग और संबंधित आर्थिक धोखाधड़ी की गहराई से जांच कर रही है।

Al Falah University fake recognition case

Al-Falah University Fake Recognition Case:अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े फर्जी मान्यता और कथित आर्थिक गड़बड़ी को लेकर ईडी (Enforcement Directorate) ने बड़ी कार्रवाई की है। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया। ईडी की यह कार्रवाई हाल ही में की गई छापेमारी के बाद हुई, जिसमें एजेंसी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, कंप्यूटर डेटा और डिजिटल साक्ष्य मिले। इन सबूतों की गहराई से जांच करने के बाद एजेंसी इस नतीजे पर पहुंची कि मामला गंभीर धोखाधड़ी का है। इसी आधार पर गिरफ्तारी को अंतिम रूप दिया गया।

जांच की शुरुआत कैसे हुई?

यह पूरी जांच तब शुरू हुई जब दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के खिलाफ दो FIR दर्ज कीं। इन एफआईआर में आरोप लगाया गया कि यूनिवर्सिटी ने NAAC मान्यता होने का झूठा दावा किया। इसका इस्तेमाल कर छात्रों और माता–पिता को भ्रमित किया गया और उनसे फीस के नाम पर भारी रकम वसूली गई। एफआईआर में यह भी दर्ज है कि यूनिवर्सिटी ने UGC Act, 1956 की धारा 12(B) के तहत मान्यता का भी गलत दावा किया, जबकि सत्य यह है कि इस धारा के तहत मिलने वाली मान्यता के लिए उन्होंने कभी आवेदन ही नहीं किया था। यह कदम सिर्फ अधिक छात्रों को आकर्षित करने और आर्थिक लाभ कमाने के उद्देश्य से उठाया गया था।

UGC का आधिकारिक बयान क्या कहता है?

UGC ने साफ तौर पर बताया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी केवल धारा 2(f) के तहत “स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी” की सूची में शामिल है। यानी उसे वही अधिकार प्राप्त हैं, जो एक सामान्य प्राइवेट यूनिवर्सिटी को मिलते हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी ने 12(B) के तहत मान्यता प्राप्त होने का झूठा दावा वायरल किया, जबकि इसके लिए उन्होंने आवेदन भी नहीं किया था। UGC ने इसे सीधे तौर पर धोखाधड़ी बताया है और कहा है कि ऐसे दावे छात्रों के हितों के साथ खिलवाड़ हैं।

ED की कार्रवाई क्यों महत्वपूर्ण मानी जा रही है?

ईडी को संदेह है कि यूनिवर्सिटी ने फर्जी मान्यता का हवाला देकर बड़ी संख्या में छात्रों का दाखिला लिया और उनसे लाखों रुपये फीस के रूप में कमाए। इन पैसों को कथित रूप से इधर–उधर घुमाने और छिपाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का इस्तेमाल किया गया। तलाशी में मिले कागज़ात और डेटा से पता चलता है कि कुछ लोग इस वित्तीय गड़बड़ी के केंद्र में थे और पूरे ऑपरेशन को संभाल रहे थे। इससे जांच एजेंसी को शक है कि यह केवल शिक्षा घोटाला नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर आर्थिक अपराध हो सकता है।

अब आगे क्या होगा?

गिरफ्तार चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को अदालत में पेश किया जाएगा, जहां ईडी उनकी रिमांड की मांग कर सकती है। एजेंसी यह पता लगाना चाहती है कि इस फर्जी मान्यता के आधार पर कुल कितनी रकम जुटाई गई, इसमें कौन–कौन शामिल था और पैसों को किस तरीके से घुमाया गया। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारी या पूछताछ हो सकती है।

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