अमित शाह ने बना दिया अनोखा रिकॉर्ड, गृहमंत्री रहते हुए 20 साल से क्यों नहीं की कोई भी विदेश यात्रा

अमित शाह ने 2006 से कोई विदेश यात्रा नहीं की, गृह मंत्री होते हुए भी वे वर्चुअल माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समन्वय करते हैं। उनकी यह छवि उन्हें घरेलू राजनीति में और मजबूत बनाती है।

Amit Shah foreign travel decision

Amit Shah Political Journey: भारतीय राजनीति में अमित शाह एक ऐसे नेता के रूप में जाने जाते हैं जिनकी कार्यशैली, सादगी और वैचारिक दृढ़ता उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती है। उनकी पहचान का एक बेहद चर्चित पहलू यह है कि उन्होंने लगभग 20 वर्षों से कोई भी विदेशी यात्रा नहीं की। उनकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार 2006 के बाद से न तो उन्होंने किसी सरकारी विदेश दौरे पर कदम रखा और न ही किसी निजी यात्रा पर गए।

जबकि दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 11 सालों में 90 से अधिक देशों की यात्राएँ कर चुके हैं और दुनिया में भारत की भूमिका को लगातार मजबूत कर रहे हैं। ऐसे समय में शाह का भारत से बाहर न जाना एक अलग ही राजनीतिक संदेश देता है।

सोची-समझी वैचारिक सोच का हिस्सा

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला किसी मजबूरी का नहीं, बल्कि एक सोच-समझकर अपनाई गई रणनीति का हिस्सा है। अमित शाह खुद को ऐसे नेता के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं जो पूरी तरह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सोच से जुड़ा हो।ऐसा नेता जिसकी शक्ति, पहचान और राजनीति का आधार भारत की मिट्टी से निकला हो।

अंग्रेज़ी की जगह हिंदी में संवाद को बढ़ावा देना, और अभिजात्य वर्ग से दूरी बनाए रखना भी इसी वैचारिक सोच का विस्तार माना जाता है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक यह भी कहते हैं कि शाह शायद प्रधानमंत्री बनने से पहले विदेश यात्रा न करने का एक अनौपचारिक संकल्प निभा रहे हैं, हालांकि उन्होंने कभी इस पर सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा।

वर्चुअल माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समन्वय

2019 में गृह मंत्री बनने के बाद भी उनका यह फैसला जारी रहा, जिसने इसे और रोचक बना दिया। उनके पहले गृह मंत्री रह चुके राजनाथ सिंह कई विदेशी दौरों पर जाते रहे थे।चाहे सुरक्षा सहयोग हो या कूटनीतिक साझेदारियों का विस्तार।

लेकिन शाह ने इस परंपरा से बिल्कुल अलग राह चुनी। गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार वह अंतरराष्ट्रीय बातचीत और मंत्रालय-स्तर के समन्वय को दिल्ली से ही संचालित करना पसंद करते हैं। ज़रूरत पड़ने पर कोई प्रतिनिधिमंडल भेज दिया जाता है या फिर बैठकें वर्चुअल माध्यम से हो जाती हैं।

भारतीयता से जुड़ी छवि और राजनीतिक प्रभाव

राजनीतिक रणनीतिकार बताते हैं कि अमित शाह की घरेलू जीवनशैली, भारतीय सांस्कृतिक प्रतीकों से लगाव और विदेश यात्राओं से दूरी, उन्हें खासकर हिंदी भाषी राज्यों में बेहद मजबूत नेता की छवि देती है।
वे ऐसे नेता के रूप में देखे जाते हैं जिनकी वैचारिक जड़ें पूरी तरह भारतीय समाज में गहराई से जुड़ी हैं।

2006 से 2025 तक विदेश न जाने का यह लंबा सफर अब एक राजनीतिक कथा जैसा बन चुका है। अमित शाह आखिर कब विदेश यात्रा करेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं। लेकिन इतना तय है कि यह फैसला उनकी राजनीतिक रणनीति और वैचारिक दिशा का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।

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