Aravalli Hills: आंदोलनों का असर या पर्यावरण संरक्षण, केंद्र सरकार ने उठाया सख्त कदम , नहीं होगा कोई नया खनन पट्टा

केंद्र सरकार ने अरावली पहाड़ियों में नई खनन लीज पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इसका मकसद अवैध खनन रोकना और पर्यावरण, भूजल व जलवायु संतुलन को सुरक्षित रखना है।

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Aravalli Hills Protection:केंद्र सरकार ने अरावली पहाड़ियों को बचाने के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण और दूरगामी फैसला लिया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने अरावली से जुड़े सभी राज्यों को साफ निर्देश जारी किए हैं कि अब अरावली क्षेत्र में किसी भी तरह की नई खनन लीज नहीं दी जाएगी। यह फैसला पूरे अरावली पर्वत श्रृंखला पर लागू होगा, जो गुजरात से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा होते हुए दिल्ली तक फैली हुई है।

सरकार का कहना है कि अरावली में पिछले कई सालों से अवैध और बेतरतीब खनन हो रहा था, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा है। पहाड़ों की कटाई, जंगलों की तबाही और जमीन के अंदर के जल स्रोतों पर इसका सीधा असर पड़ा है। इसी को देखते हुए सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है, ताकि अरावली को और ज्यादा नुकसान से बचाया जा सके।

अवैध खनन पर लगेगी पूरी तरह रोक

सरकारी निर्देशों के अनुसार, अब अरावली क्षेत्र में किसी भी नए खनन प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं मिलेगी। इसका मतलब साफ है कि चाहे वह पत्थर हो, बजरी हो या किसी और तरह का खनिज, नए सिरे से खनन की इजाजत नहीं दी जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे अवैध खनन पर भी लगाम लगेगी, जो अब तक नियमों को ताक पर रखकर चल रहा था।

राज्य सरकारों को यह भी कहा गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में सख्ती से निगरानी रखें और यह सुनिश्चित करें कि पुराने नियमों का उल्लंघन न हो। अगर कहीं अवैध खनन पाया जाता है, तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

पर्यावरण और जलवायु के लिए क्यों जरूरी है अरावली

पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक अरावली पहाड़ियां उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाती हैं। ये पहाड़ियां रेगिस्तान को फैलने से रोकने, भूजल स्तर बनाए रखने और हवा की गुणवत्ता सुधारने में मदद करती हैं। अरावली क्षेत्र में मौजूद जंगल और वन्यजीव जैव विविधता को भी मजबूत बनाते हैं।
अगर अरावली का संरक्षण ठीक से किया जाए, तो इससे आसपास के इलाकों की जलवायु पर भी अच्छा असर पड़ेगा। बारिश के पानी को रोकने, मिट्टी के कटाव को कम करने और तापमान को संतुलित रखने में भी अरावली का बड़ा योगदान है।

आने वाले समय में दिखेगा असर

सरकार का मानना है कि यह फैसला सिर्फ आज के लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए लिया गया है। अरावली को एक प्राकृतिक और सतत भू-आकृति के रूप में बचाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। अगर इस फैसले को सही तरीके से लागू किया गया, तो आने वाले वर्षों में पर्यावरण, जल और जलवायु से जुड़ी कई समस्याओं में सुधार देखने को मिल सकता है।

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