Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए खेमे में चिंता की लहर दौड़ गई है। एक ताज़ा ओपिनियन पोल के नतीजे सत्ता पक्ष के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं। सर्वे में जहां इंडिया गठबंधन को मामूली बढ़त मिलती दिख रही है, वहीं मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव का नाम सबसे ऊपर उभर रहा है। आंकड़े बताते हैं कि अगर चुनाव आज होते, तो एनडीए की सत्ता वापसी की राह बेहद मुश्किल हो सकती थी। खास बात यह है कि युवा वोटर्स का रुझान पूरी तरह पलट गया है, और कुछ छोटे दलों के प्रभाव ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। क्या नीतीश की कुर्सी अब खतरे में है?
तेजस्वी बने सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री चेहरा
इंडिया टुडे-सी वोटर के अनुसार, तेजस्वी यादव को 36.9% लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद बताया है। वहीं, नीतीश कुमार 18.4% के साथ काफी पीछे हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रशांत किशोर (16.4%) और चिराग पासवान (10.6%) भी नीतीश को चुनौती दे रहे हैं। खासकर 18-39 वर्ष के युवा वोटर तेजस्वी को भारी समर्थन दे रहे हैं, जो एनडीए के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
243 सीटों में NDA पिछड़ता दिखा, INDIA गठबंधन को बढ़त
पोल ट्रैकर के ताज़ा अनुमान के मुताबिक:
- INDIA गठबंधन: 126–131 सीटें
- NDA: 108–115 सीटें
- जन सुराज पार्टी: 0–3 सीटें
- अन्य: 4–8 सीटें
यह अनुमान एनडीए को स्पष्ट बहुमत से दूर दिखा रहा है। अगर INDIA गठबंधन 130 के आंकड़े को पार करता है, तो सत्ता परिवर्तन तय माना जा सकता है।
जन सुराज पार्टी की एंट्री ने बिगाड़ा गणित
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को भले ही 0-3 सीटों का अनुमान है, लेकिन इनकी उपस्थिति खासकर इमामगंज, बेलागंज और कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में NDA-INDIA दोनों को नुकसान पहुंचा सकती है। 2024 के उपचुनावों में 10% वोट शेयर हासिल करने वाली यह पार्टी अब “वोटकटवा” की भूमिका में दिख रही है।
बेरोजगारी और पलायन बना सबसे बड़ा मुद्दा
Bihar सर्वे में मतदाताओं ने बेरोजगारी, गरीबी, और पलायन को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बताया है। युवाओं में गुस्सा चरम पर है, जो तेजस्वी और प्रशांत किशोर जैसे नए चेहरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। नीतीश कुमार की “थकी हुई छवि” और बार-बार गठबंधन बदलने की रणनीति लोगों को अब पसंद नहीं आ रही।
NDA में आंतरिक कलह, सीट बंटवारे पर तनाव
BJP करीब 100 सीटों और JDU 90-95 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है, लेकिन चिराग पासवान और जीतन राम मांझी जैसे सहयोगी अपनी-अपनी मांगों पर अड़े हैं। अंदरूनी खींचतान का असर ज़मीनी स्तर पर साफ झलक रहा है। इससे एकजुटता की कमी और मतदाताओं में भ्रम पैदा हो रहा है।
सत्ता से फिसलती जमीन?
Bihar चुनाव 2025 से पहले एनडीए के लिए यह सर्वे एक चेतावनी है। तेजस्वी यादव की लोकप्रियता और इंडिया गठबंधन की बढ़त एनडीए के लिए खतरे की घंटी है। नीतीश कुमार की साख डगमगा रही है, और मतदाता बदलाव का संकेत दे रहे हैं। यदि यही रुझान बना रहा, तो बिहार की सियासत में बड़ा उलटफेर तय है।
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