Bihar Liquor Ban Policy:बिहार में वर्ष 2016 से लागू शराबबंदी कानून एक बार फिर राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है। राज्य में लंबे समय से यह मुद्दा उठता रहा है कि शराबबंदी को हटाया जाए या इसमें बदलाव किया जाए। कई नेताओं ने चुनावी रैलियों और अभियानों के दौरान स्पष्ट कहा था कि अगर उनकी सरकार बनी तो शराबबंदी कानून को खत्म कर दिया जाएगा। जनसुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने तो यह तक कह दिया था कि उनकी सरकार बनने के कुछ ही दिनों के अंदर शराबबंदी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। लेकिन चुनाव परिणामों के बाद राजनीतिक समीकरण बदल गए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एक बार फिर एनडीए सरकार सत्ता में लौटी और 20 नवंबर को नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी पदभार संभाला और उसके तुरंत बाद विभागों का बंटवारा कर दिया गया। सभी मंत्री अपनी-अपनी भूमिकाओं में कार्य शुरू कर चुके हैं। इसी क्रम में सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वस्त सहयोगी और जेडीयू कोटे के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव ने मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग का कार्यभार ग्रहण किया। विभाग संभालते ही उन्होंने राज्य की शराबबंदी नीति को लेकर बड़ा और स्पष्ट बयान दिया।
शराबबंदी कानून जारी रहेगा
बिजेंद्र यादव ने साफ शब्दों में कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून पूरे रूप में जारी रहेगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार का इस नीति को बदलने का कोई इरादा नहीं है। उनके अनुसार, शराबबंदी सामाजिक सुधार का एक अहम कदम है और इसे मजबूती से लागू किया जाएगा।
गड़बड़ी पर होगी सख्त कार्रवाई
मंत्री यादव ने आगे कहा कि शराबबंदी के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लापरवाही या अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि वे जल्द ही विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे, हालात की समीक्षा करेंगे और जहां-जहां खामियां हैं, उन्हें दूर करने के निर्देश देंगे। साथ ही, अवैध शराब के धंधे में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने का आश्वासन भी दिया।
बिजेंद्र यादव के इस बयान से स्पष्ट है कि नई सरकार शराबबंदी कानून में किसी प्रकार की ढील नहीं देगी। बल्कि, इसे और प्रभावी बनाने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।
