CBSE bans dummy school students केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने डमी स्कूलों में पढ़ने वाले 12वीं के छात्रों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। अब ऐसे छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं मिलेगी।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, CBSE के एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि डमी स्कूलों से जुड़े छात्रों को बोर्ड परीक्षा में शामिल होने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
पिछले साल दिसंबर में, CBSE ने दिल्ली, बेंगलुरु, वाराणसी, बिहार, गुजरात और छत्तीसगढ़ के 29 स्कूलों में डमी एडमिशन की जांच के लिए औचक निरीक्षण किए थे। इस जांच के बाद दिल्ली और राजस्थान के 27 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
क्या होते हैं डमी स्कूल
डमी स्कूल वे स्कूल होते हैं, जहां छात्रों का नामांकन तो होता है, लेकिन वे नियमित रूप से स्कूल नहीं जाते। यह व्यवस्था खासकर उन छात्रों के लिए बनाई जाती है, जो मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे होते हैं। ये छात्र कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्कूल की कक्षाओं में शामिल नहीं होते। वे सिर्फ परीक्षा फॉर्म भरते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं।
न्यूनतम उपस्थिति जरूरी
शिक्षा मंत्रालय ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि डमी एडमिशन वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जा रही है और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। CBSE के नियमों के अनुसार, नियमित स्कूल आना और न्यूनतम उपस्थिति (अटेंडेंस) की शर्त पूरी करना जरूरी है। स्कूलों को समय-समय पर अटेंडेंस नियमों का पालन करने के निर्देश दिए जाते हैं। अगर किसी स्कूल के डेटा में कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। इसके बाद CBSE की टीम द्वारा स्कूल का निरीक्षण किया जाता है, और दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होती है।
डमी एडमिशन से बढ़ रही समस्या
देश में डमी एडमिशन एक बड़ी समस्या बन चुकी है। आमतौर पर, 9वीं कक्षा के बाद ही छात्र स्कूल जाना छोड़ देते हैं और कोचिंग सेंटरों में मेडिकल या इंजीनियरिंग की तैयारी करने लगते हैं। इससे शिक्षा प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
CBSE ने इस समस्या को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अब बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए स्कूलों में नियमित उपस्थिति जरूरी होगी। डमी स्कूलों की समस्या को खत्म करने के लिए CBSE ने जो सख्त कदम उठाए हैं, वे शिक्षा प्रणाली को सुधारने में मदद करेंगे। इससे छात्रों को अनुशासन का महत्व समझ में आएगा और वे कोचिंग के साथ-साथ नियमित स्कूल शिक्षा पर भी ध्यान देंगे।