Census 2027 caste based population survey in India : जनगणना कब और कैसे होगी? देश में लंबे समय से टली हुई जनगणना की तारीखें अब तय हो गई हैं। यह जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहले चरण की शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी, जिसमें पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों की गिनती की जाएगी। वहीं, दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से शुरू होगा, जिसमें मैदानी क्षेत्रों की गणना होगी। यह जनगणना खास इसलिए भी है क्योंकि आज़ादी के बाद पहली बार जातियों की गिनती की जाएगी।
जनगणना किस कानून के तहत होती है?
भारत में जनगणना ‘जनगणना अधिनियम, 1948’ के तहत कराई जाती है। यह कानून केंद्र सरकार को लोगों से जानकारी जुटाने का अधिकार देता है। जनगणना का काम गृह मंत्रालय के तहत आने वाले महापंजीयक और जनगणना आयुक्त द्वारा किया जाता है। इस कानून के अनुसार जाति पूछने के लिए अलग से संशोधन करने की जरूरत नहीं है।
पहले जाति गिनती क्यों नहीं हुई?
1881 से 1931 तक ब्रिटिश सरकार ने जातियों की गिनती कराई थी। लेकिन 1951 में आज़ाद भारत की पहली जनगणना में सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति की ही गिनती की गई। ओबीसी की गिनती नहीं हुई थी। बाद में राज्य सरकारों को स्वतंत्र रूप से ओबीसी सर्वे करने की छूट दी गई।
इस बार जाति जनगणना क्यों अहम है?
बहुत समय से देश में जाति जनगणना की मांग उठ रही थी। 30 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी। इससे न सिर्फ सामाजिक आंकड़े मिलेंगे बल्कि आरक्षण और योजनाओं को सही दिशा में लागू करने में भी मदद मिलेगी।
जनगणना में क्या-क्या पूछा जाता है?
2011 की जनगणना में व्यक्ति का नाम, उम्र, लिंग, शिक्षा, रोजगार, वैवाहिक स्थिति, भाषा, धर्म, अनुसूचित जाति/जनजाति, दिव्यांगता, बच्चों की संख्या, पलायन आदि जैसे सवाल पूछे गए थे। इस बार जाति को भी शामिल किया जाएगा।
बेघर और जंगलों में रहने वालों की गिनती कैसे होती है?
बेघरों की गिनती रात में की जाती है, स्टेशन-बस स्टैंड जैसे स्थानों पर जाकर।
जो जनजातियां जंगलों में रहती हैं और संपर्क में नहीं आतीं, उन्हें नाव से खाने-पीने का सामान भेजा जाता है और उनकी गिनती वहीं की जाती है।
पहाड़ी लोग जो अपने जानवरों के साथ ऊपर चले जाते हैं, उनके लिए खास कैंप लगाए जाते हैं।
कानून में बदलाव की ज़रूरत नहीं
जाति पूछने के लिए कानून में कोई नया बदलाव नहीं करना होगा। धारा 8 जनगणना अधिकारी को यह हक देती है कि वो तय सवाल पूछ सकें।
जातियों की संख्या और सूची
अनुसूचित जाति: 1270 जातियां
अनुसूचित जनजाति: 748 जातियां
OBC की कोई तय राष्ट्रीय सूची नहीं है, इसे जनगणना से तय किया जाएगा।
इस बार की जनगणना से क्या बदलेगा?
जाति आंकड़े सामने आने से सामाजिक योजनाएं, आरक्षण और नीतियां ज्यादा सटीक बनाई जा सकेंगी। सामाजिक न्याय मंत्रालय इसका समन्वय करेगा। सरकार सभी राजनीतिक दलों से सुझाव भी ले सकती है।