Census 2027 : जनगणना सिर्फ लोगों की संख्या जानने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सरकार को यह समझने का अवसर देती है कि देश की जनता किस तरह के हालात में रह रही है, उन्हें किन संसाधनों की आवश्यकता है और किन क्षेत्रों में विकास की ज़रूरत है। भारत में पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि 2021 में प्रस्तावित जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। अब सरकार ने घोषणा की है कि अगली जनगणना प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी।
2 चरणों में होती है जनगणना
जनगणना मुख्य रूप से दो चरणों में होती है—हाउसिंग सेंसस और पॉपुलेशन सेंसस। पहले चरण में घर से संबंधित जानकारी इकट्ठा की जाती है जैसे – दीवारें किस सामग्री की बनी हैं (मिट्टी, ईंट, पत्थर आदि), फर्श और छत की स्थिति, शौचालय की व्यवस्था कैसी है – निजी है या सामुदायिक, और उसका मल-निकासी सिस्टम क्या है (सैप्टिक टैंक, सीवर या कुछ नहीं)। इसके साथ ही यह भी देखा जाता है कि घर में किस प्रकार की सुख-सुविधाएं हैं – जैसे वाईफाई की उपलब्धता, कितने डिवाइस जुड़े हैं, टीवी पर कौन सी डिश या सेट-टॉप बॉक्स इस्तेमाल होता है, घर में किस अनाज का सेवन होता है (गेहूं, बाजरा, ज्वार, रागी आदि), खाना बनाने का ईंधन क्या है (LPG, CNG, लकड़ी, कंडा आदि), और परिवार की आय, प्रॉपर्टी व जीवन-शैली कैसी है।
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दूसरे चरण, यानी जनसंख्या गणना में, हर व्यक्ति की विस्तृत जानकारी ली जाती है। इसमें केवल नाम और उम्र ही नहीं, बल्कि लिंग, जन्म तिथि, माता-पिता का नाम, वैवाहिक स्थिति, स्थायी और अस्थायी पता, परिवार में मुखिया से संबंध जैसी जानकारियाँ शामिल होती हैं। इसके अलावा धर्म, जाति/जनजाति, किसी प्रकार की दिव्यांगता, और भाषा संबंधी विवरण (मातृभाषा और अन्य भाषाएं जो व्यक्ति पढ़, लिख या बोल सकता है) भी पूछे जाते हैं। व्यक्ति की शिक्षा, वर्तमान अध्ययन की स्थिति, उसकी अधिकतम योग्यता और रोज़गार से जुड़ी जानकारी भी दर्ज की जाती है। संक्षेप में, जनगणना एक समग्र प्रक्रिया है जो न केवल जनसंख्या का आंकलन करती है, बल्कि नागरिकों के जीवन स्तर, जरूरतों और सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को भी दर्शाती है। ये आंकड़े भविष्य की नीतियों और योजनाओं की नींव बनते हैं।