News1India Conclave : आगरा में News1 India के भव्य कॉन्क्लेव “महाकुंभ मंथन” का शुभारंभ हो चुका है। इस आयोजन में केंद्रीय मंत्री, धार्मिक संत और कई प्रमुख नेता शामिल हुए हैं। यह मंच समाज, राजनीति और धर्म से जुड़े अहम मुद्दों पर गहन चर्चा और विचार-विमर्श का केंद्र बना हुआ है।
इस मौके पर चंद्रेशेखर आजाद भी शामिल हुए, और उन्होंने इस मौके पर कहा कि, बसपा पार्टी छोड़ने की वजह सिर्फ यही थी कि उस दौरान बाबा काशीराम का आंदोलन हुआ था और उस बीच प्रयास था की वो आंदोलन आगे बड़े और फिर हमने आरपीआई पार्टी बनाई लेकिन उस बीच उन्हे संघर्ष करने का मौका नहीं मिला क्योकिं उस बीच आरपीआई लीडर ने काशीराम को नाकार दिया उस बीच भीभ आर्मी हमारी परिवार ने तय किया कि जब हस सड़को पर लड़ाई लड रहे हैं हम बिना तंख्वा के काम करते हैं तो फिर हम यह काम क्यो न करे क्योकि बाबा साहब कहा करते थे राजनीति में हिस्सेदारी न करने का सबसे बड़ा दंड यह होगा की योग्य लोग आप पर शासन करेगे जिसके बात उम्मीद जगी अंबेडकर और काशीराम का अधूरा सपना पूरा करने की कोशिश जुड गया.
मयावती जी हमारी बड़ी हैं: चंद्रेशेखर आजाद
मयावती जी हमारी बड़ी हैं आपके मंच से उनकी दिर्घआयु की कामना करता हूं इतिहास पढ़ते हैं पार्यालमेंट में भी बात छिड़ी एकलव्य की कहानी जब एकलव्य से ने कहा दोणाचार्य से शिष्य बनना चाहाता हू लेकिन उन्होने नहीं स्वीकारा तो एकल्वय ने उनकी मुर्ती लगा कर अपना शिक्षा लेना प्राप्त किया ठीक उसी प्रकार मेंरे मन में मायावती जी की काशीराम जी मुर्ति हैं और मैं वेसे ही आगे बड़ कर अपना काम कर रहा हूं. जो काम उन्होने किया उसे नाकार नहीं जा सकता लेकिन अभी काम बाकी हैं कि समाज में 10 प्रतिशत का तबका तैयार हैं लेकिन 90 प्रतिशत बचा हैं ये देश समता समानता बुधुत्व का देश बने और यह तभी होगा जब बुहत सारे लोग ईमानदारी से अपना काम करे और मैं कोशिश कर रहा हूं मैं एक छोटा सिपाहूं हूं.
एकलव्य की कहानी
इसके अलावा चंद्रेशेखर आजाद ने कहा कि, मयावती जी हमारी बड़ी हैं आपके मंच से उनकी दिर्घआयु की कामना करता हूं इतिहास पढ़ते हैं पार्यालमेंट में भी बात छिड़ी एकलव्य की कहानी जब एकलव्य से ने कहा दोणाचार्य से शिष्य बनना चाहाता हू लेकिन उन्होने नहीं स्वीकारा तो एकल्वय ने उनकी मुर्ती लगा कर अपना शिक्षा लेना प्राप्त किया ठीक उसी प्रकार मेंरे मन में मायावती जी की काशीराम जी मुर्ति हैं और मैं वेसे ही आगे बड़ कर अपना काम कर रहा हूं. जो काम उन्होने किया उसे नाकार नहीं जा सकता लेकिन अभी काम बाकी हैं कि समाज में 10 प्रतिशत का तबका तैयार हैं लेकिन 90 प्रतिशत बचा हैं ये देश समता समानता बुधुत्व का देश बने और यह तभी होगा जब बुहत सारे लोग ईमानदारी से अपना काम करे और मैं कोशिश कर रहा हूं.
50 करोड़ की घड़ी पहने तो क्या गलत है क्या ?
मैं एक छोटा सिपाहूं हूं. क्या अपने गुरु के लिए राजनिती छोड़ देगा – देखिए मेरे कंधो पर जिम्मेदारी हैं और मैं समझता हूं कि बहन जी समाज का भला चाहाती हैं मुझे नही लगता हैं मेरा अंगूठा मांगेगी और देखिए यह भी हो सकता हैं जरूरी नहीं की हर बार अंगूठा गुरु मांगेगे और ऐसा भी हो सकता हैं कि वो खुद कहे चलो तुम मेरे आगे और ऐसा भी नहीं हैं देखिए मैं हल्कि बात नहीं करता जिस दिन उन्होने यह कह दिया यह मेरा खून है यह मेरा औलाद हैं तो मैं चैलेज की तरह कह रहा हूं इस देश में कमजोर और कमजोर वर्गो बच्चो की तरफ कोई भी आंख नहीं दिखा सकता हैं यह मेरी बात को आप नोट कर ले 10 लाख के जुते पहने वाले सवाल पर – वो मेरा भाई हैं 50 करोड़ की घड़ी पहने तो क्या गलत है क्या और कोई नहीं पहन रहा क्या हमने तो आगरा में जुते बना कर पैट पाला हैं तो अगर अब हम पहन रहे तो क्या गलत हैं.
देश में सबसे ज्यादा कमी यह की सोशल हादसो की बात को सही तरह से मिडिया उठाती नहीं मिडिया सावाल नही करती अगर मीडिया सवाल सरकार से पूछे तो शायद चीजे अलग होगी मैने तीन पहले प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा हैं और 14 -15 मांगे भी कि हैं क्योकिं देश में पक्ष विपक्ष दोनो ही कितने पड़े अंबेडकर वादी हैं यह सदन में दिख रहा हैं लेकिन अपने कार्यकाल के दरिमियान कितना उन्होने उनकी बात मानी हैं और कितना बड़ा अंबेडकर वादी यह भी पता लग जाएगा और इसी लिए मैन पत्र लिखा हैं और अगर वो मांगे लागू होती हैं तो ठीक हैं और अगर नही किया तो मैं समझ जाउंगा या प्रेम झूटा हैं दिखावा हैं क्योकिं बाबा साहब के वजह से कमजोर वर्गो के चार चार कुर्बानियो से वोट का अधिकार हैं और अगर यह चला गया तो कोई नेता वहां नही जाएगां और न ही कोई उनकी संमस्या सुनेगा