China New Virus: चीन में इन दिनों सांस से जुड़े वायरस के फैलने से दुनिया में एक बार फिर डर का माहौल पैदा हो गया है। जानकारी के मुताबिक ह्यूमन मेटापन्यूमो वायरस (HMPV) तेजी से चीन में लोगों को अपना शिकार बना रहा है। फिलहाल ना तो चीन और ना ही अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसको लेकर कोई आधिकारिक आपातकाल घोषित किया है। हालांकि, चीन की स्वास्थ्य एजेंसियां दिसंबर 2024 से संक्रमणों पर नजर बनाए हुए हैं।
HMPV क्या है?
ह्यूमन मेटापन्यूमो वायरस (HMPV) पहली बार 2001 में पहचाना गया था। यह वायरस प्नूमोविरिडे परिवार से संबंध रखता है और रेस्पिरेटरी सिंसिशियल वायरस (RSV) से जुड़ा है। यह मुख्य रूप से खांसी, जुकाम और गले में खराश जैसे हल्के लक्षण पैदा करता है। ये वायरस उन लोगों में तेजी से फैल रहा है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है। खबकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों में यह निमोनिया और ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर बीमारियां का कारण बन रहा है।
चीन में कैसा है माहौल?
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में इन्फ्लूएंजा ए, माईकोप्लाज्मा न्यूमोनिया, कोविड-19 और अब HMPV से होने वाले संक्रमणों में वृद्धि हुई है। सोशल मीडिया पर चीन के अस्पताल की एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। इसमें भारी अस्पताल के अंदर भारी भीड़ दिख रही है। हालांकि, चीन ने HMPV को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
क्या कोविड-19 जैसा है HMP वायरस?
रिपोर्ट्स के मुताबिक HMPV और SARS-CoV-2 (कोविड-19 वायरस) अलग-अलग वायरस परिवारों से जुड़े हैं, लेकिन इनमें कुछ बीतें एक जैसी हैं। दोनों श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं और बुखार, खांसी, गले में खराश और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण पैदा करते हैं। ये दोनों की वायरस सांस की बूंदों और संक्रमित सतहों से फैलते हैं। ये वायरस छोटे बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग अधिक प्रभावित करते हैं। हालांकि, कोविड-19 के लिए वैकसीन मौजूद हैं, जबकि HMPV के लिए अभी तक कोई वैकसीन नहीं है।
भारत के लिए कितना खतरा?
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के अनुसार, भारत में अभी तक HMPV का कोई मामला सामने नहीं आया है। एनसीडीसी के निदेशक डॉ. अतुल गोयल ने कहा है कि HMPV आम सर्दी-जुकाम जैसे वायरस की तरह है। उन्होंने सलाह दी कि लोग सामान्य सावधानियां बरतें, जैसे बीमार होने पर दूसरों के संपर्क में आने से बचना। डॉ. गोयल ने यह भी आश्वासन दिया कि भारत में किसी भी बड़े खतरे की संभावना नहीं है और अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाएं और बिस्तर उपलब्ध हैं।