2024 के आखिरी महीनों में चीन ने नई तकनीक के मामले में भारत के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी। उसने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान J-20 माइटी ड्रैगन का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही J-35A का भी अनावरण कर दिया। यही नहीं, 26 दिसंबर को चीन ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के प्रोटोटाइप का भी परीक्षण किया।
इससे भारतीय वायुसेना के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है, क्योंकि भारत के पास अभी तक कोई पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान नहीं है। भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन की ताकत भी लगातार घट रही है।
भारतीय वायुसेना बनाम चीन की एयरफोर्स
चीन ने अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-20 को भारत से लगती सीमाओं के पास तैनात कर दिया है। नवंबर 2024 में झुहाई एयर शो के दौरान चीन ने J-35A को भी प्रदर्शित किया, जो एयरक्राफ्ट कैरियर पर भी तैनात किया जा सकता है।
इतना ही नहीं, चीन ने छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-36 और J-50 के प्रोटोटाइप भी पेश किए। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि छठी पीढ़ी की तकनीक अभी पूरी तरह विकसित नहीं है, लेकिन यह साफ है कि चीन तकनीक में भारत से काफी आगे निकल चुका है।
भारत को क्या करना चाहिए
भारतीय सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करना होगा। इसके अलावा, मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) प्रोजेक्ट के तहत एडवांस विमान जल्दी से जल्दी खरीदना होगा।
स्टील्थ फाइटर किसके पास हुआ
वर्तमान में पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर केवल तीन देशों, अमेरिका, रूस और चीन के पास हैं। चीन से भारत विमान नहीं खरीद सकता, इसलिए विकल्प सिर्फ अमेरिका और रूस ही बचते हैं।
F 35 Lightning II भारत के लिए सही विकल्प
रूस का Su 57 फेलॉन यूक्रेन युद्ध के कारण फिलहाल तैयार नहीं हो रहा। ऐसे में भारत के पास केवल अमेरिकी फ-ल 35 लाइटनिंग II बचता है। यह सुपरसोनिक, स्टील्थ, मल्टी रोल फाइटर जेट है।
हालांकि, अमेरिका ने इसे भारत को आधिकारिक तौर पर ऑफर नहीं किया है। अमेरिका ने केवल F 21 की पेशकश की है, जो F 16 का उन्नत संस्करण है।
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर बना बाधा
अमेरिका F 35 की तकनीक को लेकर काफी सतर्क है। वह इसे केवल चुनिंदा देशों को ही बेचता है। अगर भारत F 35 खरीदता भी है, तो अमेरिका टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने को तैयार नहीं होगा, जो ‘मेक इन इंडिया’ योजना के लिए जरूरी है।
अगले कदम क्या हो
भारत को दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना को देखते हुए जल्द फैसला लेना होगा। कुछ विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि भारत को छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान कार्यक्रम जैसे ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) या फ्यूचर कॉम्बैट एयर सिस्टम (FCAS) में शामिल होना चाहिए।
हालांकि, यह कदम बहुत जोखिम भरा और काफी महंगा साबित हो सकता है।