वक्फ कानून और पॉकेट वीटो पर गरमाई बहस, बीजेपी सांसद बोले- संसद को बंद कर दीजिए

वक्फ कानून और पॉकेट वीटो पर सुप्रीम कोर्ट के रुख से मोदी सरकार नाराज नजर आ रही है। निशिकांत दुबे और रिजिजू ने कोर्ट की टिप्पणी पर सवाल उठाए, जिससे न्यायपालिका बनाम संसद की बहस तेज हो गई है।

Court vs Govt

Court vs Govt: संसद और सुप्रीम कोर्ट के बीच अधिकारों की रेखा एक बार फिर चर्चा में है। वक्फ संशोधन कानून और पॉकेट वीटो के मुद्दे पर सरकार और न्यायपालिका आमने-सामने हैं। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की विधायी मामलों में दखल पर सवाल उठाए हैं। वहीं कोर्ट ने साफ किया है कि संवैधानिक मर्यादाओं का पालन होना चाहिए। इन घटनाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट की वक्फ कानून पर सुनवाई और पॉकेट वीटो पर फैसला, दोनों ने देश में नीति और न्याय के संतुलन की बहस को तेज कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम ने सरकार और अदालत के बीच बढ़ती असहजता को सार्वजनिक मंच पर ला खड़ा किया है।

वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की भूमिका से नाराज बीजेपी

वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले ही राजनीति गरमा (Court vs Govt) गई। गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि अगर कानून बनाना सुप्रीम कोर्ट का ही काम है, तो संसद को बंद कर देना चाहिए। सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्होंने कहा, “कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।”

उनकी यह टिप्पणी केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि “मुझे भरोसा है सुप्रीम कोर्ट विधायी प्रक्रिया में दखल नहीं देगा। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।”

पूर्व जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने भी अदालत के फैसले से पहले ही चुनौती दे दी और कहा कि अगर कानून में कोई गलती निकली तो वे सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे।

पॉकेट वीटो पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला और केंद्र की आपत्ति

तमिलनाडु के 10 विधेयकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की चुप्पी को गलत (Court vs Govt) ठहराया और कहा कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर फैसला लेना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल के पास ‘पॉकेट वीटो’ का अधिकार नहीं है, जिससे वह विधेयकों को अनिश्चितकाल तक रोके रखें।

केंद्र सरकार इस फैसले से असहमत है और पुनर्विचार याचिका दायर करने की तैयारी में है। सरकार का तर्क है कि कोर्ट का यह निर्देश राज्यपाल के संवैधानिक अधिकारों को सीमित करता है और इससे कार्यपालिका के क्षेत्र में न्यायपालिका का दखल बढ़ सकता है।

यह टकराव अब एक गहरी संवैधानिक बहस का रूप ले चुका है।

जिन्ना का बंगला फिर चर्चा में: मालाबार हिल स्थित ‘साउथ कोर्ट’ का होगा कायाकल्प, विदेश मंत्रालय ने ली कमान

Exit mobile version