दिल्ली हाईकोर्ट आज सीबीएसई, आईसीएसई और सभी राज्यों के स्कूल बोर्ड में यूनिफॉर्म सिलेबस लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगी. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. इससे पहले दो मई को हुई सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, सीबीएसई और ICSE को नोटिस जारी किया था. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को छह हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि सभी एंट्रेंस एग्जाम के लिए सिलेबस एक समान है. जेईई, बिटसैट, नीट, मैट, नेट, एनडीए, सीए, सीयूसेट इत्यादि की प्रतियोगी परीक्षाओं में सिलेबस और करिकुलम एक समान है, लेकिन सीबीएसई, आईसीएसई और राज्य बोर्डों के सिलेबस अलग-अलग हैं.
याचिका में कहा गया है कि शिक्षा माफिया नहीं चाहते हैं कि देशभर में एक समान सिलेबस हो, क्योंकि इससे कोचिंग को बढ़ावा मिलता है और बदले में मौद्रिक लाभ भी प्राप्त होता है. याचिका में आगे कहा गया है कि शिक्षा के अधिकार कानून का मतलब शिक्षा का समान अधिकार होता है. शिक्षा का अधिकार सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है क्योंकि इसके बिना दूसरे अधिकारों को लागू करना मुश्किल है. याचिका में आगे कहा गया है, “शिक्षा का अधिकार” का अर्थ ‘समान शिक्षा का अधिकार’ है और यह सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है क्योंकि अन्य अधिकार इसे प्रभावी ढंग से लागू किए बिना अर्थहीन हैं. मातृभाषा में सामान्य पाठ्यक्रम और सामान्य पाठ्यक्रम न केवल एक सामान्य संस्कृति के कोड को प्राप्त करेंगे, मानवीय संबंधों में असमानता और भेदभावपूर्ण मूल्यों की कमी को दूर करना, बल्कि गुणों को भी बढ़ाना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना, विचारों को ऊंचा करना, जो समान समाज के संवैधानिक लक्ष्य को आगे बढ़ाते हैं.” केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, कानून मंत्रालय, सामाजिक न्याय मंत्रालय, सीबीएसई, आईसीएसई और दिल्ली सचिवालय मामले में प्रतिवादी हैं.