नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली ज़मानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 18 अप्रैल को अपना फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में 4 अप्रैल को सभी पक्षकारों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली ज़मानत को बरकरार रखा जाए या रद्द कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में आज मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की विशेष पीठ ने मामले में फैसला सुनाएगी। मामले में SIT की निगरानी कर रहे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज ने आशीष मिश्रा की ज़मानत रद्द करने की सिफारिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा था कि हमारा कोर्ट में स्टैण्ड वही है जो इलाहाबाद हाई कोर्ट में आशीष मिश्रा की ज़मानत याचिका के समय था। हमने अपनी स्तिथि पर हलफनामा दाखिल किया है। हमने हाई कोर्ट में आशीष मिश्रा की ज़मानत का विरोध किया था। यूपी सरकार ने सभी गवाहों को सुरक्षा प्रदान की है। गवाहों की जान को कोई खतरा नहीं हैं। हमने गवाहों से संपर्क किया है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने कहा था कि हमको SIT का पत्र मिला है, हमने सरकार को रिपोर्ट भेजी है कि क्या आशीष की ज़मानत को चुनौती देनी है? मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा था कि हम आपको याचिका दाखिल करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं, यह कोई ऐसा मामला नहीं हैं जहां आपको महीनों या सालों का इंतज़ार करना पड़े।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आशीष मिश्रा के ज़मानत के फैसले को रद्द किया जाए। हाई कोर्ट प्रसांगिक तथ्यों पर विचार नहीं किया था। हाई कोर्ट ने फैसला देते समय अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया था। पीड़ित परिवार की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि हाई कोर्ट ने फैसला में FIR पर ध्यान नहीं दिया जिसमें कार से कुचलने की बात कही गई है। हाई कोर्ट सिर्फ यह कहता है कि कोई गोली नहीं लगी है। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि जज पोस्टमार्टम आदि के बारे में कैसे फैसला ले सकते है? हम ज़मानत पर सुनवाई कर रहे है। सवाल यह है कि ज़मानत रद्द करने की ज़रूरत है या नहीं? कौन सी कार थी पोस्टमार्टम आदि जैसे बकवास सवालों पर सुनवाई नहीं करना चाहते हैं।