नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला किया है। सरकार ने स्कूली शिक्षा को ध्यान में रखते हुए नो डटिंशन पॉलिसी को खत्म किए जाने पर मुहर लगा दी है। अब इस पर ब्रेक लग जाने से 5वीं और 8वीं क्लास के एग्जाम में फेल होने वाले स्टूडेंट्स को अब पास नहीं किया जाएगा। पहले इस नियम के तहत फेल होने वाले स्टूडेंट्स को दूसरी क्लास में प्रमोट कर दिया जाता था। बता दें, केंद्र सरकार की नई पॉलिसी का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित करीब 3 हजार से ज्यादा स्कूलों पर होगा।
अब छात्र नहीं किए जाएंगे पास
केंद्र सरकार ने सोमवार को नो डटिंशन पॉलिसी को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया। नोटिफिकेशन के मुताबिक, अब फेल होने वाले छात्रों को 2 महीने के अंदर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा। अगर वे दोबारा फेल होते हैं, तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा, बल्कि जिस क्लास में वो पढ़ रहे थे उसी में दोबारा पढ़ेंगे। मोदी सरकार ने स्कूली शिक्षा को बेतहर बनाने की नियत से कुछ बदलाव भी किए हैं। सरकार ने इसमें एक प्रावधान भी जोड़ा है कि 8वीं तक के ऐसे बच्चों को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है, इसलिए राज्य इस संबंध में अपना निर्णय ले सकते हैं। अब राज्य सरकार चाहें तो इसे अपने प्रदेशों में लागू करें य खत्म कर दें।
सरकार ने फेल किए जाने पर लगाई थी रोक
मोदी सरकार ने वर्ष 2010-11 से 8वीं क्लास तक परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी। जिसको लेकर शिक्षा व समाज से जुड़े लोगों ने आवाज बुलंद की थी। इस नीति को खत्म किए जाने की मांग भी उठाई। सरकार ने भी अंदरखाने पड़ताल की। जिसमें देखा गया कि शिक्षा के लेवल में धीरे धीरे गिरावट आने लगी। जिसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं पर पड़ने लगा। केंद्र सरकार ने इस पर मंथन किया। शिक्षा मंत्रायल से जुड़े अधिकारियों ने कई दौर की मीटिंग की। आखिर में ये तय हुआ कि अब नॉ डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया जाए। जिसके बाद सरकार ने इस पर रोक लगा दी।
लोकसभा में पेश हुआ था बिल
जुलाई 2018 में लोकसभा में राइट टु एजुकेशन को संशोधित करने के लिए बिल पेश किया गया था। इसमें स्कूलों में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने की बात थी। इसके अनुसार 5वीं और 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए रेगुलर एग्जाम्स की मांग की गई थी। इसी के साथ फेल होने वाले स्टूडेंट्स के लिए दो महीने के अंदर री-एग्जाम कराने की भी बात थी। 2019 में ये बिल राज्य सभा में पास हुआ। इसके बाद राज्य सरकारों को ये हक था कि वो ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ हटा सकते हैं या लागू रख सकते हैं। जिसके बाद 16 राज्य सरकार ने इस पालिसी को खत्म कर दिया।
कुछ इस तरह से बोलीं डॉक्टर ज्योति अरोड़ा
सीबीएसई की गवर्निंग बॉडी की सदस्य व शिक्षाविद डॉक्टर ज्योति अरोड़ा कहती हैं कि जब यह नीति दिल्ली सरकार द्वारा बनाई गई थी, तो मैं इस समिति का हिस्सा थी। मेरे नजरिये से सरकार का यह संशोधन अत्यंत सराहनीय है। डटिंशन को बच्चे की अक्षमता के प्रतिबिंब के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके बजाए इसे रचनात्मक मूल्यांकन और फीडबैक के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। जो बच्चे को उनकी अद्वितीय क्षमताओं के अनुरूप अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सशक्त बनाता है।
कुछ इस तरह से बोलीं रेखा गुप्ता
कानपुर पेरेंट्स एसोशिएशन की सदस्य रेखा गुप्ता ने भी इस फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा कि, जमीन पर देखा जाए तो यह अच्छा फैसला आया है। वो कहती हैं कि सरकारी स्कूलों की बात करें तो वहां के पेरेंट्स आठवीं की पढ़ाई तक सीरियस नहीं थे। अब पढ़ाई का स्तर वाकई सुधरेगा। इससे बच्चे लर्नगिं और इवैल्यूएशन को लेकर सीरियस होंगे। पहले उन्हें लगता था कि बच्चा पास तो हो ही जाएगा। रेखा आगे चिंता जताते हुए कहती हैं कि इस पॉलिसी के खत्म होने के बाद स्कूलों को अपनी जिम्मेदारी समझना जरूरी है। कहीं ऐसा न हो कि अगर बच्चा सही परफॉर्म नहीं कर रहा तो वो उठाकर फेल कर दें।