Father of Indian Comics: अगर भारत में कॉमिक्स को देसी रंग और असली जमीनी पहचान देने वाले किसी शख्स का नाम लेना हो, तो सबसे पहले नाम आता है। प्राण कुमार शर्मा का। हम सब उन्हें प्यार से ‘प्राण’ के नाम से जानते हैं। 6 अगस्त 2014 को उनका निधन हुआ था , लेकिन उनके बनाए किरदार आज भी हर उम्र के लोगों की यादों में ज़िंदा हैं।
चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से तेज था
1969 में ‘लोटपोट’ पत्रिका में चाचा चौधरी का जन्म हुआ। देखते ही देखते चाचा चौधरी हर बच्चे के हीरो बन गए। उनका दिमाग कंप्यूटर से तेज था, लेकिन दिल था एक सीधा-सादा भारतीय बुज़ुर्ग जैसा। उनके साथ थे साबू, जो जुपिटर ग्रह से आया उनका ताकतवर दोस्त।और फिर आईं पिंकी, बिल्लू, श्रीमतीजी सब हमारे जैसे आम लोग, लेकिन दिलचस्प और खास
विदेशी दौर में बनाई देसी दुनिया
1960 के दशक में जब कॉमिक्स की दुनिया पर विदेशी कैरेक्टर्स का राज था, तब प्राण ने बिल्कुल देसी और भारतीय कहानियों का संसार खड़ा कर दिया। उनके किरदारों में भारतीय समाज, आम लोगों की बातें, और घरेलू हास्य था जिसे हर कोई जुड़ाव महसूस कर सके।
एक कलाकार जिसने आम आदमी को हीरो बनाया
प्राण का जन्म 15 अगस्त 1938 को हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आया। उन्होंने मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से कला की पढ़ाई की, लेकिन असली समझ उन्हें आम लोगों के बीच से मिली। इसीलिए उनके किरदारों में मध्यम वर्ग की सच्चाई और भावनाएं साफ नजर आती हैं।
सिर्फ हंसी नहीं,समाज का आईना भी
प्राण के कॉमिक्स में केवल हंसी ही नहीं होती थी, बल्कि एक सामाजिक संदेश भी छिपा होता था। उनकी कहानियां ईमानदारी, होशियारी और इंसानियत की बात करती थीं इसीलिए उनके बनाए किरदार बच्चों के साथ-साथ बड़ों और शिक्षकों को भी पसंद आते थे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मिली पहचान
प्राण को ‘भारतीय वाल्ट डिज़्नी’ कहकर ‘वर्ल्ड एन्साइक्लोपीडिया ऑफ कॉमिक्स’ में सम्मानित किया गया।
2001 में उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला।
गूगल ने 2014 में उनके सम्मान में डूडल बनाया। यह दिखाने के लिए कि वह हर भारतीय के दिल में बसे हैं।
टीवी से लेकर विदेश तक
उनका बनाया ‘चाचा चौधरी’ टीवी शो 600 एपिसोड तक चला जो उनकी लोकप्रियता का सबूत है। उन्होंने अमेरिका, फ्रांस, कोरिया जैसे देशों में जाकर व्याख्यान भी दिए, जिससे साबित होता है कि उनकी कला सीमाओं से परे थी।
प्राण सिर्फ एक कार्टूनिस्ट नहीं थे, बल्कि उन्होंने भारतीय कॉमिक्स को भारतीय आत्मा दी। उनके बनाए किरदार आज भी 10 से ज्यादा भाषाओं में पढ़े जाते हैं। वो चले जरूर गए, लेकिन हंसी, समझदारी और देसीपन से भरी उनकी दुनिया आज भी हमारे साथ है।