गौतम गंभीर ने टीम इंडिया के खिलाड़ियों को बना दिया ‘गजनी’, ‘गजब’ बैटर भूल गए खुद का बैटिंग लाइनअप

क्या गौतम गंभीर की गलतियों का खामियाजा भुगत रहा भारत, सिर्फ 3 स्पेशलिस्ट बैटर, ऑलराउंडर्स बेदम साबित हो रहे, सोशल मीडिया पर लोग गौती को हटाए जानें की मांग कर रहे।

नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। टेस्ट टीम में लगातार हार के बाद पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। फैंस की रडार पर टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर हैं। सोशल मीडिया पर यूजर्स ‘गौती सर’ पर सवाल खड़ा कर रहे हैं और बीसीसीआई से इस पर दखल देने की मांग उठा रहे हैं। दरअसल, गुवाहाटी टेस्ट में बुधवार को भारत को साउथ अफ्रीका से टेस्ट क्रिकेट में 408 रनों की हार मिली, जो उसकी रनों लहिज से सबसे बड़ी टेस्ट हार रही। इस हार के साथ भारतीय टीम को साउथ अफ्रीका से घरेलू सीरीज में 0-2 से व्हाइटवॉश झेलना पड़ा और 25 साल बाद घर में ही प्रोटियाज टीम से सीरीज में हार भी झेलनी पड़ी। पिछले साल न्यूजीलैंड से 0-3 से हार के बाद यह भारतीय टीम का घरेलू सीरीज में दूसरा व्हाइटवॉश रहा।

न्यूजीलैंड के बाद अब साउथ अफ्रीका से मिली हार के बाद टीम गौतम गंभीर के बतौर हेड कोच प्रदर्शन पर सवाल खड़े हो रहे हैं। अब सोशल मीडिया पर लोग आमिर खान की फिल्म गजनी की याद दिला रहे हैं। लोग लिख रहे हैं गौतम गंभीर के चलते टीम इंडिया के बल्लेबाज गजनी बन गए हैं। टेस्ट मैच में कौन बल्लेबाज किस पोजीशन पर खेलेगा किसकी एक्सपर्टीज किस पोजीशन पर खेलने की है खिलाड़ी खुद ही भूल चुके हैं। खिलाड़ियों को याद ही नहीं कि आखिर वह किस नंबर पर अपना बेस्ट परफॉर्मेंस दे सकते हैं। अगर आंकड़ों पर गौर करें तो 2024 से लेकर 2025 के बीच टीम इंडिया की बैटिंग लाइनअप में अनगिनत बार परिवर्तन किए गए। ओपनिंग में तीन बल्लेबाज बदले गए। जबकि नंबर तीन पर 7, नंबर 4 पर 5, नंबर 5 पर 7, नंबर 6 पर 9 और नंबर 7 पर 8 बल्लेबाजों की बैटिंग को बदला गया।

दरअसल टीम इंडिया के सन की कोच गौतम गंभीर ने पूरी टीम इंडिया की टेस्ट 11 को एक प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। इन्हीं प्रयोग के चक्कर में टीम इंडिया का बेड़ा गर्क हो रहा है। गंभीर को बदलाव बहुत पसंद है और यही उनकी रणनीति का मुख्य हिस्सा है। टीम में चीजों को रोचक बनाने के लिए वह लगातार बल्लेबाजों की पोजीशन, संयोजन और खिलाड़ियों को बदलते रहते हैं। अगर टीम के बोर्डरूम में हो रहीं गतिविधियां कोई खेल होतीं, तो गंभीर इसमें जीतते। लेकिन अफसोस, उनकी यह कल्पना टीम को उम्मीद के अनुसार सफलता नहीं दे पा रही। गंभीर के आने के बाद भारतीय बल्लेबाजी घनचक्कर बनकर रह गई है। यशस्वी जयसवाल को छोड़कर लगभग हर बल्लेबाज का क्रम बार-बार बदलता रहा है। अगर साउथ अफ्रीकी सीरीज की बात करें तो गौतम गंभीर ने बल्लेबाजों की बैटिंग लाइन में धड़ाधड़ परिवर्तन किए। खुद खिलाड़ियों को भी नहीं पता होता कि उन्हें किस नंबर पर बल्लेबाजी करनी है।

उदाहरण के लिए, साई सुदर्शन ने नंबर 3 पर 87 और 39 रन बनाए, फिर भी उन्हें बाहर कर दिया गया। उनके स्थान पर वॉशिंगटन सुंदर आए, जिन्होंने पहले टेस्ट में 29 और 31 रन बनाए, लेकिन उन्हें भी नीचे कर दिया गया। और तो और कुलदीप यादव को भी नंबर चार पर भेज दिया गया। फिर सुदर्शन को वापस मौका मिला। इसी तरह खिलाड़ियों का लगातार चक्र चलता रहा। गौतम गंभीर की अधीरता का सबसे ज्यादा नुकसान टेस्ट क्रिकेट को हो रहा है अपने घर में टीम लगातार हार पर हर हासिल कर रही है। जाहिर तौर पर सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर अपनी सनक की वजह से टीम का बेड़ा गर्ग करने का अधिकार गौतम गंभीर को किसने दिया। गंभीर की टीम में स्थिरता बहुत कम है। बल्लेबाजों को उनके प्राकृतिक स्थानों से हटाकर नए रोल में डाल दिया जाता है। यह कोई चुनौती नहीं, बल्कि अधीरता और प्रयोग की वजह से होता है।

कई खिलाड़ी टेस्ट स्क्वॉड में शामिल हुए और जल्दी ही बाहर कर दिए गए (या बेंच पर भेजे गए), जैसे- सरफराज खान, करुण नायर, देवदत्त पडिक्कल, अभिमन्यु ईश्वरन, नारायण जगदीशन, अंशुल कम्बोज, अर्शदीप सिंह और आकाश दीप। रिटायर हुए खिलाड़ी जैसे रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन भी इसमें शामिल हैं। वनडे और टी-20 में भी यही स्थिति है, जहां खिलाड़ी आते-जाते रहते हैं। सरफराज खान और करूण नायर जैसे बल्लेबाजों ने घरेलू क्रिकेट में रनों का अंबार लगाया। जबरदस्त प्रदर्शन किया फिर भी बाहर बैठे हुए हैं। लेकिन ऐसे तमाम खिलाड़ी जिनका प्रदर्शन औसत से भी काम है। उन खिलाड़ियों को टीम में जगह मिली है और दक्षिण अफ्रीका जैसी मजबूत टीम के खिलाफ वह खिलाड़ी असहाय साबित हो रहे हैं आखिर क्यों। इस तरह के बदलाव का असर पहले ही दिख रहा है। भारत अब घर में लगातार दूसरी हार टेस्ट सीरीज हार चुका है। विपक्षी गेंदबाजों ने पिच का पूरा फायदा उठाया।

गंभीर की रणनीति से भारतीय टेस्ट क्रिकेट, खिलाड़ियों की लय और फैन्स की उम्मीदें कमजोर हो रही हैं। ऑलराउंडरों का चयन जो गेंदबाजी में कम उपयोग होते हैं, विशेषज्ञों की भूमिका कमजोर कर रहा है। जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज को अनजानी परिस्थितियों में मेहनत करनी पड़ रही है। अगर गंभीर अपनी नीति नहीं बदलते, तो तेज गेंदबाजों का भविष्य खतरे में है। कई लोग गंभीर युग की तुलना ग्रेग चैपल के समय से करते हैं. चैपल ने भी टीम में बदलाव किए थे, लेकिन उनकी गलतियों का आरोप कप्तान और वरिष्ठ खिलाड़ियों पर गया। गंभीर को ऐसा कोई विरोध नहीं मिला। उनकी गलतियां सीधे ही उनकी जिम्मेदारी हैं। उन्होंने भारतीय टीम को एक करौसेल बना दिया और पारंपरिक ज्ञान को नजरअंदाज किया।

 

Exit mobile version