Tax on Tobacco: क्या सिगरेट, गुटखा और पान मसाला पर टैक्स बढ़ने वाला है, किस पर पड़ेगा इसका असर

सरकार सिगरेट, तम्बाकू और पान मसाला पर ‘नेशनल सिक्योरिटी और जन स्वास्थ्य सेस’ लगाने की तैयारी में है। उत्पादन क्षमता आधारित टैक्स, सख्त सजा और अनिवार्य रजिस्ट्रेशन से उद्योग पर कड़ा नियंत्रण स्थापित होगा।

Tax on Tobacco, cigrate and Pan Masala: सरकार गुटखा और पान मसाला उद्योग पर अब तक की सबसे बड़ी सख्ती करने की तैयारी में है। लंबे समय से बढ़ती खपत, स्वास्थ्य जोखिम और टैक्स चोरी की शिकायतों को देखते हुए केंद्र सरकार अब एक नया और कठोर वित्तीय प्रावधान लागू करने जा रही है। सरकार ‘नेशनल सिक्योरिटी और जन स्वास्थ्य सेस’ नाम का नया टैक्स लाने जा रही है, जिसके जरिए इन उत्पादों के निर्माण पर नियंत्रण बढ़ाने और राष्ट्रीय सुरक्षा व पब्लिक हेल्थ योजनाओं के लिए अतिरिक्त फंड जुटाने की योजना है।

क्यों आया केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025

संसद के शीतकालीन सत्र में दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए जा सकते हैं। इसे लेकर आम लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन उत्पादों के दाम अब और बढ़ जाएंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 और स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पेश करेंगी। जिनका उद्देश्य जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर खत्म होने के बाद भी तंबाकू और पान मसाला पर टैक्स व्यवस्था को बनाए रखना है।

बिल की मुख्य बातें

आगामी शीतकालीन सत्र में पेश होने वाला ‘हेल्थ सिक्योरिटी से नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल 2025’ सरकार के अनुसार एक अहम आर्थिक सुधार माना जा रहा है। आइए इसकी मुख्य बातें समझते हैं।

नया बिल क्यों लाया जा रहा है?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में यह बिल पेश करेंगी। इसका उद्देश्य गुटखा और पान मसाला उद्योग से मिलने वाले राजस्व को मजबूत करना और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा स्वास्थ्य परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराना है।

टैक्स उत्पादन क्षमता के आधार पर लगेगा

इस नए सेस का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि टैक्स तैयार माल पर नहीं, बल्कि उत्पादन क्षमता पर लगाया जाएगा। यानी मशीनों और उत्पादन प्रक्रिया को आधार मानकर मासिक सेस तय होगा, ताकि टैक्स चोरी रोकी जा सके।

मशीन और हाथ से बने उत्पाद, दोनों पर समान नियम

चाहे कोई कंपनी मशीनों से उत्पादन करे या हाथ से, सभी को हर महीने फिक्स्ड सेस देना होगा। हाथ से बनने वाले गुटखा-पान मसाला के लिए भी निर्धारित मासिक शुल्क लागू होगा।

सेस से जुटा धन कहां जाएगा?

बिल पास होने के बाद सेस से मिलने वाला पैसा राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाओं और पब्लिक हेल्थ मिशनों पर खर्च किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर सरकार इस सेस को बढ़ा भी सकती है।

नियम न मानने पर सख्त सजा

अगर कोई निर्माता नियमों का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बिल में 5 साल तक की जेल का प्रावधान रखा गया है। कंपनियों को अपील का पूरा अधिकार होगा। अधिकारियों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक।

रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

हर गुटखा और पान मसाला निर्माता को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। बिना रजिस्ट्रेशन उत्पादन करना गैरकानूनी माना जाएगा।

मासिक रिटर्न और सरकारी जांच

जिन पर यह सेस लागू होगा, उन्हें हर महीने रिटर्न फाइल करना होगा। सरकार के अधिकारी निरीक्षण और ऑडिट कर सकेंगे ताकि टैक्स चोरी न हो सके।

15 दिन से ज्यादा उत्पादन बंद तो छूट

अगर कोई फैक्ट्री या मशीन 15 दिनों से अधिक समय तक बंद रहती है, तो उस अवधि के लिए सेस में राहत दी जा सकेगी।

उद्योग पर सरकार का सबसे कड़ा कदम

यह बिल गुटखा-पान मसाला उद्योग पर नियंत्रण बढ़ाने और सरकारी आमदनी में वृद्धि करने की दिशा में अब तक की सबसे बड़ी पहल माना जा रहा है।

सरकार द्वारा प्रस्तावित बदलावों में शामिल हैं।

सिगरेट, सिगार और चुरूट पर प्रति 1,000 स्टिक पर 5,000 से 11,000 रुपये तक का प्रस्तावित उत्पाद शुल्क।

कच्चे (अनिर्मित) तंबाकू पर 60–70 प्रतिशत तक उत्पाद शुल्क।

निकोटीन आधारित और सांस द्वारा उपयोग किए जाने वाले उत्पादों पर 100 प्रतिशत तक उत्पाद शुल्क।

इन प्रस्तावों का सीधा मतलब है कि टैक्स का ढांचा कड़ा रहेगा। हालांकि, कीमतें निश्चित रूप से बढ़ेंगी या नहीं इस पर अभी आधिकारिक स्पष्ट बयान नहीं दिया गया है। लेकिन टैक्स दरें बढ़ने की स्थिति में लागत बढ़ने की पूरी संभावना है।

सरकार तंबाकू, गुटखा और पान मसाला जैसे नुकसानदायक उत्पादों पर टैक्स ढांचा मजबूत कर रही है। इसका सीधा असर यह होगा कि इन उत्पादों की कीमतें बढ़ने की पूरी संभावना है। नया सेस, नए नियम और कड़ी निगरानी आने वाले दिनों में उद्योग पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।

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