H-1B Visa Controversy: अमेरिका में विदेशी कामगारों के लिए दिए जाने वाले H-1B वीज़ा को लेकर अक्सर बहस होती रहती है। इसी मुद्दे पर टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क ने पिछले साल दिसंबर में बड़ा बयान दिया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था। “मैं इस मुद्दे पर ऐसी जंग छेड़ दूंगा, जिसकी तुम सोच भी नहीं सकते।” इस बयान से साफ था कि मस्क H-1B वीज़ा को बेहद जरूरी मानते हैं।
H-1B वीज़ा क्यों है जरूरी?
एलन मस्क का कहना है कि यह वीज़ा न सिर्फ उनकी कंपनियों के लिए बल्कि पूरे अमेरिकी टेक उद्योग के लिए अहम है। मस्क खुद इसी वीज़ा के सहारे अमेरिका आए थे और बाद में टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियां खड़ी कीं। उनका कहना है कि अमेरिका में कई बड़ी कंपनियां विदेशी कामगारों की वजह से ही आगे बढ़ पाई हैं। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में टेस्ला H-1B वीज़ा देने वाली कंपनियों में 16वें नंबर पर थी। इसका मतलब है कि मस्क की कंपनी लगातार विदेशी प्रतिभाओं पर भरोसा करती है।
विवाद क्यों खड़ा होता है?
H-1B वीज़ा तीन साल के लिए दिया जाता है और जरूरत पड़ने पर इसे छह साल तक बढ़ाया जा सकता है। इस वीज़ा के तहत कंपनियां विदेशों से कुशल कामगारों को नौकरी पर रख सकती हैं।मगर, विवाद इसलिए होता है क्योंकि आलोचकों का मानना है कि विदेशी कर्मचारियों को कम वेतन पर नौकरी देकर अमेरिकी नागरिकों की नौकरियां छीनी जा रही हैं। दूसरी तरफ, टेक कंपनियों और मस्क जैसे उद्योगपतियों का कहना है कि देश के अंदर इतने कुशल लोग नहीं मिलते, इसलिए विदेशी विशेषज्ञों को बुलाना पड़ता है।
मस्क का सुझाव
मस्क मानते हैं कि H-1B सिस्टम फिलहाल ठीक से काम नहीं कर रहा और इसमें बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कुछ सुझाव भी दिए
विदेशी कामगारों की न्यूनतम सैलरी बढ़ाई जाए।
कंपनियों से हर साल एक शुल्क लिया जाए ताकि वे घरेलू श्रमिकों को प्राथमिकता दें।
मस्क का कहना है कि अगर इस सिस्टम में सुधार किए जाएं तो यह अमेरिकी नागरिकों और विदेशी दोनों के लिए फायदेमंद होगा।
टेक इंडस्ट्री का पक्ष
अमेज़न, इंफोसिस और कॉग्निज़ेंट जैसी कंपनियां भी इस वीज़ा के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि दुनियाभर से टैलेंट आने की वजह से अमेरिकी कंपनियां मजबूत बनती हैं और नई तकनीक का विकास तेजी से होता है।