नई दिल्ली, (आईएएनएस)। इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना ‘रमजान’ शुरू होने वाला है। इस साल रमजान का आगाज 1 या 2 मार्च 2025 से होगा, जो अगले 30 दिनों तक चलेगा। रमजान की तारीख में बदलाव संभव है क्योंकि चांद का दीदार कर ही रोजेदार पहले रोजे की शुरुआत करते हैं। रोजे में खजूर (Importance of dates in Ramzan) का सेवन किया जाता है। इसका धार्मिक ही नहीं सेहत से भी गहरा कनेक्शन है!
रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है जिसे मुसलमान पूरे विश्व में रोजा रखकर (उपवास) मनाते हैं। रमजान के दौरान मुसलमान सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं, जिसे रोजा कहा जाता है। इफ्तारी के वक्त खजूर का सेवन किया जाता है। इसका धार्मिक ही नहीं सेहत के लिहाज से भी बड़ा महत्व है। आखिर इफ्तार पर इसे ही क्यों चुना गया और इसे खाने से क्या लाभ होता हैं?
इस्लाम में खजूर (Importance of dates) से रोजा खोलने को सुन्नत माना गया है। इस्लाम में मान्यता है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद को खजूर काफी पसंद था, वे रोजा खोलने वक्त इसे खाते थे बाद में ये परंपरा बन गई जो आज तक बदस्तूर कायम है। धार्मिक मान्यता के साथ ही खजूर को स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना गया है।
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कहते हैं कि खजूर में प्राकृतिक ऊर्जा होती है जो रोजे के दौरान शरीर को ऊर्जा देने का काम करती है। खजूर स्वाभाविक रूप से मीठे होते हैं और उनमें मौजूद प्राकृतिक शर्करा और फाइबर, ब्लड शुगर के स्तर को तेजी से बढ़ाते हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद होता है।खजूर में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो पूरे दिन खाने-पीने से परहेज के दौरान भी शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते।
ये छोटा सा फल पाचन तंत्र के लिए भी लाभकारी है। खजूर में मौजूद फाइबर पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है, जो रोजे के दौरान पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। रमजान के बाद ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान एक-दूसरे को मुबारकबाद दे अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं।