15 August 1947 में कीमतें और ज़िंदगी कैसी थी ₹1 में आता था इतना कुछ,दाम सुन यकीन करना मुश्किल

1947 में रोजमर्रा की चीज़ें बेहद सस्ती थीं। गेहूं, चावल, घी, पेट्रोल और सोना सब कम दाम में मिलते थे। आज कीमतें कई गुना बढ़ चुकी हैं और जनसंख्या भी 34 करोड़ से बढ़कर 140 करोड़ हो गई है।

India 1947 prices inflation and lifestyle comparison with today

India 1947 prices inflation and lifestyle comparison with today :15 August 1947 में महंगाई का हाल आज से बिल्कुल अलग था। उस समय सिर्फ 1 रुपये में 1 से 2 किलो गेहूं, आधा किलो देसी घी और हफ्तेभर के लिए सब्जियां व अनाज खरीदकर घर में रखा जा सकता था।
चावल की कीमत सिर्फ 12 पैसे प्रति किलो थी, आटा 10 पैसे प्रति किलो, दाल 20 पैसे प्रति किलो, चीनी 40 पैसे प्रति किलो और देसी घी 75 पैसे प्रति किलो में मिल जाता था। आज के हिसाब से ये दाम सुनकर यकीन करना भी मुश्किल है।
साइकिल, स्कूटर और कार

जो साइकिल आजकल 10 से 12 हजार रुपये में आती है, 1947 में उसकी कीमत सिर्फ 20 रुपये थी।
स्कूटर, बाइक और कार उस दौर में बेहद महंगे माने जाते थे, और इन्हें सिर्फ राजा-महाराजा, बड़े उद्योगपति या अमीर व्यापारी ही खरीद पाते थे। आम आदमी के लिए ये एक सपना जैसा था।

सोना और पेट्रोल

आज जिस सोने की कीमत आसमान छू रही है, 1947 में उसका हाल बिल्कुल अलग था। उस समय 10 ग्राम सोना सिर्फ 88.62 रुपये में मिलता था, जबकि आज ये लाखों में पहुंच चुका है।

पेट्रोल की कीमत भी मात्र 27 पैसे प्रति लीटर थी, जो आज करीब 100 रुपये तक पहुंच गई है।

आबादी का अंतर

आजादी के समय देश की आबादी लगभग 34 करोड़ थी। 2011 की जनगणना के अनुसार यह बढ़कर 121 करोड़ हो गई, और अब 2025 में इसके 140 करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
यानी, महंगाई के साथ-साथ जनसंख्या में भी कई गुना इजाफा हुआ है, जिसने जीवनशैली से लेकर संसाधनों तक हर चीज़ पर असर डाला है।

1947 का भारत और आज का भारत महंगाई, आबादी और जीवनशैली के मामले में बिल्कुल अलग है। उस समय कम पैसों में बहुत कुछ मिल जाता था, लेकिन आज कीमतें और जरूरतें, दोनों ही कई गुना बढ़ चुकी हैं।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी ऐतिहासिक आंकड़ों और सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है।news1india इसकी सटीकता की गारंटी नहीं देता और पाठकों से स्वतंत्र रूप से सत्यापन करने की सलाह देता है।

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