Census 2027 Big Update: भारत में होने वाली अगली जनगणना को लेकर शुक्रवार को अहम फैसला लिया गया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनगणना 2027 के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि यह जनगणना कई मायनों में ऐतिहासिक होगी, क्योंकि यह देश की पहली पूरी तरह डिजिटल जनगणना होगी।
दो चरणों में पूरी होगी जनगणना प्रक्रिया
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जनगणना 2027 को दो चरणों में कराया जाएगा।
पहले चरण में अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच घरों की सूची तैयार की जाएगी। इस दौरान यह जानकारी जुटाई जाएगी कि किस घर में कितने लोग रहते हैं और उनकी बुनियादी जानकारी क्या है।
दूसरे चरण में फरवरी 2027 में देशभर में लोगों की वास्तविक गिनती की जाएगी।
जाति आधारित गणना भी होगी शामिल
इस बार की जनगणना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें जाति आधारित गणना भी की जाएगी। यानी लोगों से उनकी जाति के बारे में भी पूछा जाएगा। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि जाति से जुड़े सवाल कैसे पूछे जाएंगे, इसे लेकर विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग धर्मों में जाति की पहचान, गोत्र और अन्य सामाजिक वर्गों को लेकर स्पष्ट व्यवस्था तय की जाएगी। इस संबंध में सभी जानकारी एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए सार्वजनिक की जाएगी।
डिजिटल सिस्टम और डेटा सुरक्षा पर जोर
सरकार एक मजबूत डिजिटल जनगणना सिस्टम तैयार कर रही है। इस बार मोबाइल ऐप के जरिए डेटा इकट्ठा किया जाएगा। इसके साथ ही लोगों को स्व-गणना (Self Enumeration) की सुविधा भी मिलेगी, यानी वे खुद ऑनलाइन अपनी जानकारी भर सकेंगे।
मंत्री ने भरोसा दिलाया कि लोगों की निजी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। डेटा सुरक्षा के लिए विशेष तकनीकी इंतजाम किए जा रहे हैं। साथ ही, अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर गलत जानकारी देता है, तो उसके लिए भी नियम बनाए गए हैं।
प्रवासी और अस्थायी निवासियों पर भी नजर
इससे पहले गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया था कि जनगणना 2027 में प्रवासी मजदूरों और अस्थायी रूप से रहने वाले लोगों से जुड़े सवाल भी शामिल होंगे।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की गणना उस स्थान पर की जाती है, जहां वह गणना के समय मौजूद होता है। साथ ही, लोगों से यह भी पूछा जाएगा कि वे वर्तमान स्थान पर कितने समय से रह रहे हैं और वहां आने का कारण क्या है। प्रवासन से जुड़ा डेटा जन्म स्थान और अंतिम निवास स्थान के आधार पर जुटाया जाएगा।
पुराने अनुभवों से सीखी गई बातें
नित्यानंद राय ने बताया कि भारत में जनगणना का इतिहास 150 साल से भी ज्यादा पुराना है। हर नई जनगणना में पिछली जनगणनाओं के अनुभवों को ध्यान में रखा जाता है। विभिन्न मंत्रालयों, संगठनों और डेटा उपयोग करने वालों से सुझाव लेकर प्रश्नावली को अंतिम रूप दिया जाता है।



