BEL engineer arrested: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के वरिष्ठ इंजीनियर दीपराज चंद्रा को हाल ही में एक बड़े जासूसी मामले में गिरफ्तार किया गया है। 36 वर्षीय चंद्रा पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान को संवेदनशील जानकारी बेचने का अपराध किया है। बीईएल, जो रक्षा मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी है, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए रडार, संचार प्रणाली और अन्य उन्नत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का निर्माण करती है। चंद्रा पर आरोप है कि उन्होंने इन उपकरणों, कार्यक्रमों और वरिष्ठ अधिकारियों से संबंधित गोपनीय जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों को दी। इस घटना ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चतुराई से अपनाया गोपनीय तरीका
जांच एजेंसियों के अनुसार, दीपराज चंद्रा (BEL) ने जानकारी साझा करने के लिए एक बेहद चालाक तरीका अपनाया था। उन्होंने एक ईमेल खाता बनाया और उसके लॉगिन विवरण को अपने पाकिस्तानी हैंडलर के साथ साझा किया। संवेदनशील दस्तावेजों को सीधे भेजने के बजाय वे उन्हें ईमेल के ड्राफ्ट फोल्डर में अपलोड करते थे। इससे कोई संदेश भेजने या प्राप्त करने की जरूरत नहीं पड़ती थी, जिससे उनकी गतिविधियां छिपी रहती थीं। हैंडलर उस ईमेल खाते में लॉगिन करके ड्राफ्ट से जानकारी प्राप्त करते थे। इस उन्नत तकनीक के कारण उनकी गतिविधियां सामान्य निगरानी से बचने में सफल रहीं।
सूत्रों के मुताबिक, मिलिट्री इंटेलिजेंस और कर्नाटक राज्य खुफिया एजेंसियों ने संयुक्त अभियान चलाकर चंद्रा को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान उनके बैंक खातों में संदिग्ध वित्तीय लेनदेन पाए गए। यह भी सामने आया कि उन्हें बिटकॉइन के जरिए भुगतान किया जा रहा था। प्रारंभिक जांच में करीब 25,000 रुपये की राशि का पता चला है, हालांकि पूरी राशि का खुलासा जांच के बाद ही हो पाएगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा
कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने इस मामले को “बेहद डरावना” करार दिया है। उन्होंने कहा कि दीपराज चंद्रा (BEL) ने देश के साथ गद्दारी की है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को साझा किया है। चंद्रा के लैपटॉप और मोबाइल फोन को जब्त कर लिया गया है और उनकी फोरेंसिक जांच जारी है। बीईएल ने भी उन्हें निलंबित कर दिया है और मामले की गहराई तक जांच करने के लिए एक समिति गठित की है।
विदेशी खुफिया नेटवर्क पर सवाल
सूत्रों का कहना है कि चंद्रा पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंटों के संपर्क में थे। उन्होंने व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का भी इस्तेमाल किया। इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि भारत के रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के लिए विदेशी खुफिया नेटवर्क कितने परिष्कृत तरीके अपना रहे हैं।
आगे की कार्रवाई
जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस जासूसी से राष्ट्रीय सुरक्षा को कितना नुकसान पहुंचा है। चंद्रा (BEL) की गिरफ्तारी ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि विदेशी खुफिया एजेंसियां भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों पर नजरें गड़ाए हुए हैं। इस घटना से सुरक्षा तंत्र को और मजबूत बनाने की जरूरत पर बल दिया जा रहा है।