India celebrates new year five times : साल 2024 अब खत्म होने को है, और 2025 का नया साल नए सपनों और उम्मीदों के साथ जल्द ही दस्तक देने वाला है। आमतौर पर दुनिया भर में 1 जनवरी को न्यू ईयर सेलिब्रेट किया जाता है, लेकिन भारत की खूबसूरती इसकी विविधता में है। क्या आप जानते हैं कि भारत में नया साल एक नहीं, बल्कि 5 बार मनाया जाता है? यह सुनकर थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के चलते भारत में अलग अलग समय पर नए साल का जश्न मनाया जाता है। आइए जानते हैं कौन से ये नए साल हैं।
हिंदू नववर्ष
भारत में हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इसे अलग अलग राज्यों में अलग नामों से जाना जाता है, जैसे महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, दक्षिण भारत में उगादी और राजस्थान में नव संवत्सर के रूप में। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। इसी दिन विक्रम संवत की भी शुरुआत मानी जाती है। इसलिए इसे हिंदू नववर्ष के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
ईसाई नववर्ष
1 जनवरी को मनाया जाने वाला नया साल पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। इसकी शुरुआत जूलियस सीजर के बनाए जूलियन कैलेंडर से हुई थी, जो ईसा पूर्व 45 में अस्तित्व में आया। बाद में इसे सुधार कर ग्रेगोरियन कैलेंडर बनाया गया। यही कारण है कि दुनिया भर के लोग इस दिन आतिशबाजी करते हैं, गिफ्ट्स देते हैं और नए साल का स्वागत करते हैं।
पंजाबी नववर्ष
पंजाबी नववर्ष को बैसाखी कहा जाता है, जो 13 अप्रैल को आता है। यह दिन खासकर सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार मनाया जाता है। बैसाखी पंजाब का एक बड़ा त्योहार है। इस दिन गुरुद्वारों में बड़े आयोजन होते हैं और मेलों का आयोजन किया जाता है। किसानों के लिए यह दिन बेहद खास होता है, क्योंकि यह फसल कटाई का भी समय होता है।
जैन नववर्ष
जैन समुदाय का नया साल दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। इसे वीर निर्वाण संवत के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान महावीर ने मोक्ष प्राप्त किया था। इसलिए दीपावली के अगले दिन जैन समाज के लोग इसे नए साल की शुरुआत के रूप में मनाते हैं।
पारसी नववर्ष
पारसी समुदाय का नववर्ष जमशेदी नवरोज कहलाता है। यह दिन लगभग 3000 साल पुराना है और इसकी शुरुआत शाह जमशेदजी के समय से मानी जाती है। पारसी लोग इसे शहंशाही कैलेंडर के अनुसार मनाते हैं। नवरोज केवल एक नया साल नहीं, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और पारसी संस्कृति का अहम हिस्सा है।
भारत की खूबसूरती इसकी विविधता में है। यहां हर धर्म और संस्कृति के लोग अपने-अपने तरीके से नए साल का स्वागत करते हैं। यही वजह है कि भारत में एक नहीं, बल्कि 5 बार नए साल का जश्न मनाया जाता है।