Jharkhand News : झारखंड के पलामू जिले के लेस्लीगंज इलाके से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां आर्थिक तंगी से टूट चुके एक गरीब दंपति ने अपने महज एक महीने के नवजात बेटे को 50 हजार रुपये में बेच दिया। यह मामला तब उजागर हुआ जब मीडिया रिपोर्टों के जरिए यह जानकारी सामने आई, जिससे प्रशासन में हड़कंप मच गया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस घटना पर तुरंत संज्ञान लेते हुए पुलिस को बच्चे की सुरक्षित वापसी के निर्देश दिए। इसके बाद पुलिस ने लातेहार जिले में दबिश देकर बच्चे को बरामद कर लिया और उसे माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया।
बेहद गरीब हालात में लिया गया दर्दनाक फैसला
जानकारी के मुताबिक, लेस्लीगंज प्रखंड के लोटवा गांव निवासी रामचंद्र राम और उनकी पत्नी पिंकी देवी लंबे समय से गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे थे। रामचंद्र खेतों में मजदूरी कर परिवार चलाते थे, लेकिन हाल की लगातार बारिश के कारण उन्हें काम नहीं मिल रहा था। उनके पास राशन कार्ड या आधार कार्ड जैसी जरूरी दस्तावेज भी नहीं थे, जिसकी वजह से वे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे थे।
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परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि वे चार बच्चों के साथ एक जर्जर छप्पर वाले घर में रहने को मजबूर थे। उसी टूटे हुए छप्पर के नीचे पिंकी देवी ने अपने बेटे को जन्म दिया था। प्रसव के बाद से पिंकी की तबीयत भी खराब चल रही थी, लेकिन इलाज कराने के लिए भी उनके पास पैसे नहीं थे। रामचंद्र के अनुसार, घर में न इलाज के पैसे थे, न बच्चों के खाने के लिए अनाज। ऐसी हालत में उन्होंने कड़ा और तकलीफदेह फैसला लेते हुए अपने नवजात बेटे को पड़ोस के गांव में रहने वाले एक दलाल दंपति को 50 हजार रुपये में सौंप दिया।
प्रशासन ने की तत्परता से कार्रवाई
जैसे ही मामला सामने आया, पलामू जिला प्रशासन सक्रिय हुआ। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लेस्लीगंज थाना प्रभारी उत्तम कुमार राय के नेतृत्व में पुलिस टीम को लातेहार भेजा गया, जहां से बच्चे को सुरक्षित बरामद कर लिया गया। पलामू के उप विकास आयुक्त जावेद हुसैन ने बताया कि मीडिया से सूचना मिलने के तुरंत बाद अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची।
प्रशासन ने परिवार को 20 किलो अनाज उपलब्ध कराया है और उन्हें जल्द से जल्द कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि राज्य में कोई भी गरीब परिवार इतनी मजबूरी में न पहुंचे कि उसे अपने बच्चे को बेचने जैसे कदम उठाने पड़ें। सरकार इस दिशा में हरसंभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है।