Uttar Pradesh : कौन हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राम मनोहर मिश्र जो रेप और यौन उत्पीड़न का फ़र्क बता चर्चा मे आए

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राम मनोहर मिश्र ने रेप और यौन अपराधों की परिभाषा स्पष्ट की। उन्होंने योगी आदित्यनाथ से जुड़े आदेश को हटाने का निर्देश दिया और महिलाओं के अधिकारों पर अहम फैसले लिए।

justice Ram Manohar Mishra verdicts

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज राम मनोहर नारायण मिश्र ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति किसी युवती का जबरन स्तन पकड़ता है या पायजामे का नाड़ा तोड़ता है, तो यह रेप की श्रेणी में नहीं आएगा। यानी ऐसे मामले में धारा 376 के तहत आरोप तय नहीं किया जा सकता। हालांकि, यह गंभीर यौन अपराध माना जाएगा और धारा 354-बी के तहत आरोपी को सजा दी जाएगी।

रेप और अपराध की तैयारी में अंतर

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि रेप की कोशिश और अपराध की तैयारी के बीच का अंतर समझना जरूरी है। किसी घटना को किस धारा के तहत रखा जाएगा, यह घटना की प्रकृति और उसके इरादे पर निर्भर करता है। कासगंज के एक मामले में यह टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून को सही तरीके से समझना और लागू करना आवश्यक है।

कौन हैं जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र?

जस्टिस राम मनोहर मिश्र का जन्म 6 नवंबर 1964 को हुआ था। उन्होंने 1985 में कानून की पढ़ाई पूरी की और 1987 में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। साल 1990 में वे उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा में मुंसिफ के रूप में शामिल हुए।

2005 में उनका प्रमोशन उच्चतर न्यायिक सेवा में हुआ। इसके बाद 2019 में उन्हें जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने बागपत और अलीगढ़ जैसे जिलों में सेवा दी। इसके अलावा, वे लखनऊ में जिला एवं सत्र न्यायाधीश और जेटीआरआई के निदेशक भी रह चुके हैं।

उनके कुछ अहम केस और उसके फैसले

मार्च 2024 में, जस्टिस मिश्र की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की बेंच ने एक निचली अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तुलना यूनानी दार्शनिक प्लेटो की अवधारणा से की गई थी। निचली अदालत ने कहा था कि जब कोई धार्मिक व्यक्ति सत्ता में होता है, तो शासन के अच्छे परिणाम सामने आते हैं। जस्टिस मिश्र ने इस टिप्पणी को हटाने का आदेश दिया।

महिलाओं से जुड़े अहम फैसले

2023 में, रेप के एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि पीड़िता को सह-अपराधी मानना पूरी तरह गलत है। ऐसी बातें महिला के सम्मान के खिलाफ हैं और समाज में गलत संदेश देती हैं।

2024 में, एक महिला के गुजारे भत्ते से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि मिडिल क्लास परिवार की महिला के लिए 2500 रुपये में गुजारा करना बहुत मुश्किल है। इसलिए, भत्ते की राशि को बढ़ाकर 5000 रुपये प्रति माह किया जाना चाहिए।

कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में सुनवाई

मथुरा में चल रहे कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद की सुनवाई भी जस्टिस मिश्र की बेंच में हो रही है। इस मामले की अगली सुनवाई 3 अप्रैल को होनी तय है।

Exit mobile version