Kolhapuri Chappal Price Shock : हमारा भारत अपनी परंपराओं और हस्तशिल्प के लिए जाना जाता है। यहां के खाने, कपड़े और कला की तरह कोल्हापुरी चप्पल भी सालों से लोगों की पसंद रही है। अब यही देसी चप्पल अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंच गई है। विदेशी लग्जरी ब्रांड प्राडा ने कोल्हापुरी चप्पल से प्रेरित सैंडल लॉन्च किए हैं, जिनकी कीमत सुनकर लोग हैरान रह गए हैं।
प्राडा इन चप्पलों को करीब 84,000 रुपये में बेचने की तैयारी कर रहा है। जैसे ही यह खबर सामने आई, सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई और लोगों ने मजेदार प्रतिक्रियाएं देना शुरू कर दिया।
फैशन शो से शुरू हुआ पूरा विवाद
कुछ महीने पहले प्राडा ने अपने स्प्रिंग 2026 मेन्सवियर फैशन शो में इन सैंडल्स को पेश किया था। शुरुआत में ब्रांड ने यह साफ नहीं किया कि ये डिजाइन भारत की पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पल से प्रेरित हैं। इसी बात पर भारतीय लोगों ने नाराजगी जताई और सोशल मीडिया पर प्राडा को जमकर ट्रोल किया गया।
विवाद बढ़ने के बाद प्राडा ने बयान जारी कर माना कि उनके सैंडल भारतीय हाथों से बनने वाली कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित हैं। इसके बाद ब्रांड ने भारत को इसका पूरा क्रेडिट दिया और कारीगरों से जुड़ी बातचीत भी शुरू की।
84,000 रुपये में बिकेगी एक जोड़ी चप्पल
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राडा के मार्केटिंग हेड लोरेंजो बर्तेली ने बताया कि पहले कलेक्शन में करीब 2,000 जोड़ी सैंडल बनाए जाएंगे। इनकी कीमत लगभग 930 डॉलर, यानी भारतीय मुद्रा में करीब 84,000 रुपये रखी गई है।
ये चप्पलें फरवरी 2026 में दुनिया भर के 40 स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लॉन्च की जाएंगी। इस साझेदारी के तहत कारीगरों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाने की योजना है, ताकि उनके हुनर को और निखारा जा सके।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की प्रतिक्रिया
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पार्टनरशिप पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि कोल्हापुरी चप्पल का डिजाइन इतना खास है कि इससे 1 अरब डॉलर तक का निर्यात संभव है। उन्होंने इन चप्पलों की बारीक कारीगरी और हाथ से बने डिजाइन की जमकर तारीफ की।
सोशल मीडिया पर लोगों के मजेदार रिएक्शन
84 हजार रुपये की कीमत सुनकर लोग हैरान हैं। किसी ने लिखा, “इतनी महंगी चप्पल पहनकर तो मम्मी से डांट पड़ेगी।” किसी ने कहा, “इस चप्पल के चक्कर में घर बिक जाएगा।” कई लोगों ने यह सवाल भी उठाया कि असली कारीगरों को इसमें से कितना पैसा मिलेगा। वहीं, बहुत से लोगों ने कहा कि वे विदेशी ब्रांड की बजाय लोकल बाजार से ही कोल्हापुरी चप्पल खरीदेंगे।
कोल्हापुरी चप्पल का छोटा सा इतिहास
कोल्हापुरी चप्पल की शुरुआत 13वीं शताब्दी मानी जाती है। कहा जाता है कि राजा बिज्जल और उनके मंत्री बसवन्ना के समय में इसे बनाने का काम शुरू हुआ। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बनने के कारण इसका नाम कोल्हापुरी पड़ा। ये चप्पल आज भी पूरी तरह हाथ से बनाई जाती हैं, और यही इनकी सबसे बड़ी खासियत है।



