नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाने वाले डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। भारत सरकार ने उन्हें डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) नियुक्त किया है। ये विभाग अब इंडियन आर्मी के ऑपरेशन एंड इंटेलिजेंस डायरेक्टोरेट (संचालन और खुफिया निदेशालय) के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विंग की देखरेख करेगा। इसके साथ ही लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई डीजीएमओ का कार्यभार भी देखेंगे।
भारतीय थल सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी गई है। उन्हें डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटेजी) अपॉइंट किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इंडियन आर्मी के वही अफसर हैं जिनसे पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर में अपने एयरबेसों पर भारत के हमलों के दौरान युद्ध विराम के लिए संपर्क किया था। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारतीय सेना और खुफिया एजेंसी समेत अन्य अहम विभागों के बीच सामंजस्य बिठाने के लिए डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटजी) की पोस्ट बनाई गई है। यह भारतीय सेना के अहम पदों में से एक होगा।
दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ गोलीबारी बंद होने की घोषणा के दो दिन बाद 12 मई को एक प्रेस वार्ता में लेफ्टिनेंट जनरल घई ने भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारियों और समन्वित प्रतिक्रिया के बारे में बात की थी। उन्होंने मीडिया को बताया था कि भारतीय सेनाओं ने कैसे पाकिस्तान के अंदर घुसकर पाक वायू सेना के एयरबेसों को मिट्टी में मिलाया था। रक्षा अलंकरण समारोह 2025 के दौरान लेफ्टिनेंट राजीव घई को उत्तम युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था। गत 4 जून को लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उत्तम युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया था.
फरवरी में लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई मणिपुर का भी दौरा कर चुके हैं। इस दौरान उन्होंने भारत म्यांमार सीमा का भी जायजा लिया था। मणिपुर दौरे के दौरान उन्होंने मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, मुख्य सचिव और डीजीपी से भी मुलाकात की थी। डीजीएमो घई ने मणिपुर में सेना के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसी के बाद मणिपुर के हाताल पटरी पर लौटे थे। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई कुमाऊं रेजीमेंट के वरिष्ठ अधिकारी हैं। डीजीएमओ बनने से पहले वो चिनार कोर के जीओसी रह चुके हैं। खासकर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ कई मिशन में राजीव घई की अहम भूमिका रही है।